अंकारा: सीरियाई शरणार्थियों के खिलाफ व्यापक जनविरोध को देखते हुए तुर्की 10 लाख शरणार्थियों को उनके देश वापस भेजने की योजना बना रहा है।
चीन की न्यूज एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, तुर्की के राष्ट्रपति रेसिप तैय्यप एर्दोगन ने कहा कि तुर्की समर्थित सेना के कब्जे वाले सीरियाई इलाकों में मकान और जनसुविधाओं का निर्माण कराया जा रहा है। इससे 10 लाख शरणार्थी खुद ही वापस अपने देश जाना चाहेंगे।
सीरिया में विद्रोहियों के कब्जे वाले प्रांत इदलिब में तुर्की आवास परियोजना के निर्माण में आर्थिक सहायता दे रहा है। एर्दोगन ने कहा कि पांच लाख सीरियाई हाल के वर्षो में अपने देश के सुरक्षित इलाकों में लौटे हैं।
तुर्की में करीब 40 लाख सीरियाई शरणार्थी हैं। उनके खिलाफ देश में विरोध की लहर को नजरअंदाज करते हुये एर्दोगन ने मार्च में ही कहा था कि किसी भी शरणार्थी को वापस नहीं भेजा जायेगा लेकिन जल्द ही उन्हें अपना सुर बदलना पड़ा है।
गत सप्ताह ईद के अवसर पर भी तुर्की ने सीरियाई नागरिकों को वापस जाने से रोक दिया था। सीरिया में 2011 में गृह युद्ध शुरू होने के बाद से तुर्की पहली बार सीरियाई शरणार्थियों को लेकर अपनी खुले द्वार की नीति में बदलाव करता दिख रहा है।
सीरियाई नागरिकों के उनकी रजामंदी से देश वापस भेजने की तुर्की की कोशिश कितनी रंग लायेगी, यह अनुमान लगाना अभी मुश्किल है। विश्लेषकों के अनुसार सीरिया की मौजूदा स्थिति अभी वहां नये सिरे से जिंदगी की शुरूआत करने लायक नहीं है।
शरणार्थी मुद्दों के विशेषज्ञ मतीन कोराबातिर ने शिन्हुआ को कहा कि उत्तर सीरिया के कुछ इलाकों में अभी भी झडपें हो रही हैं। सीरियाई लोगों का अभी लौटना सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि तुर्की ने 1951 के शरणार्थी समझौते पर हस्ताक्षर किये थे इसीलिये वह सैद्धांतिक रूप से शरणार्थियों को उस जगह वापस नहीं भेज सकता है, जहां उनकी जिंदगी को खतरा हो।
तुर्की में सीरिया के सबसे अधिक शरणार्थी हैं लेकिन अन्य देशों के भी शरणार्थियों ने भी यहां शरण ली हुई है।