19 साल की उम्र में मैं अपने शहीद पिता के टुकड़े घर लाई। तो मैं नाराज थी इस देश से। मेरे दिल में ये भावना थी कि मैंने अपने पिता को भेजा, तुम्हारा काम का सुरक्षित रखना। मैंने अपने पिता को हिफाजत से तुम्हारे पास भेजा। लेकिन मुझे टुकड़े लौटा दिए। मैं समझती हूं शहादत का क्या मतलब है।
आज मैं 52 साल की हूं, पहली बार मैंने मंच पर ये बात सार्वजनिक की है। वो नाराजगी थी, मैं समझी इस तरह की नाराजगी उसी से होती है जिससे प्रेम होता है। मेरे देश के लिए मेरे दिल में कितना प्रेम है मैं कैसे समझाऊं। मोदी जी मेरे पिता को देशद्रोही बोलते हैं। वे कहते है मेरे पिता ने कोई कानून बदल दिया उनकी मां से विरासत लेने के लिए। तो मेरे दिल.. मोदी जी इस बात को समझ नहीं पाएंगे। कि मेरे पिता को विरासत में धन दौलत नहीं मिली। मेरे पिता को विरासत में शहादत मिली।