जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने में चीन की भूमिका

जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने में चीन की भूमिका

बीजिंग, | जलवायु परिवर्तन पूरे विश्व के सामने खड़ी एक बड़ी चुनौती है। जिससे निपटना हर देश व क्षेत्र के लिए बहुत अहम है, ऐसे में व्यापक रूप से एकजुट होकर प्रयास करने की आवश्यकता है। विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन की कोशिशों के बिना इस समस्या का हल नहीं निकल सकता है। इसी के मद्देनजर चीन इस दिशा में गंभीरता से काम कर रहा है। चीन द्वारा किए जा रहे प्रयासों में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना प्रमुख है। इसके लिए चीन कम कार्बन उत्सर्जन वाली परियोजनाओं को बढ़ावा दे रहा है। जबकि ज्यादा ऊर्जा खपत वाले उद्यमों को बंद करने या उनका विकल्प ढूंढने के लिए चीन ने गंभीरता दिखायी है। वहीं हाल के दिनों में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के पोलित ब्यूरो की बैठक में कार्बन उत्सर्जन पर गंभीरता से चर्चा की गयी। चीनी प्रतिनिधि इस बात से पूरी तरह वाकिफ हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया को सूखा, बाढ़ व हिमस्खलन जैसी तमाम प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। चीन, भारत व जर्मनी में आयी हालिया भीषण बाढ़ को इससे अलग नहीं किया जा सकता है, इसके साथ ही विश्व के अन्य देश भी तूफान व मौसम संबंधी चुनौतियों से परेशान हैं।

इस बीच विश्व के जाने-माने वैज्ञानिकों ने एक रिपोर्ट जारी कर चेतावनी दी है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अगले दो दशक में धरती के तापमान में 1.5 फीसदी का इजाफा हो सकता है। इसके कारण प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती और बढ़ेगी। इसका मतलब है कि धरती पर मौजूद हर प्राणी को संकट से जूझना पड़ेगा।

इन तमाम चुनौतियों को देखते हुए चीन ने साल 2030 से पहले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के स्तर को चरम पर पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, साथ ही 2060 से पहले कार्बन तटस्थता का लक्ष्य भी चीन प्राप्त करना चाहता है।

गौरतलब है कि चीन ने पिछले कुछ वर्षों में पारिस्थितिकी विकास के साथ-साथ कार्बन डाईऑक्साइड के स्तर में कमी लाने के लिए व्यापक कदम उठाए हैं। जिनमें हरित विकास के साथ-साथ निम्न-कार्बन व चक्रीय अर्थव्यवस्था पर ध्यान दिया गया है। जबकि चीन सरकार व संबंधित एजेंसियों ने पर्यावरण प्रदूषण के संकट को काबू में करने के लिए भी बहुत प्रयास किए हैं। चीन में खतरनाक गैसों का उत्सर्जन करने वाले कई उद्योगों को या तो बंद कर दिया गया है या फिर उन्हें पुर्नउत्पादनीय ऊर्जा का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया गया है।

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