भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना के गहराए संकट के बीच किसानों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर किसानों की समस्याओं के निदान के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री चौहान को पत्र लिखकर कहा है कि, “कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच प्रदेश की सभी कृषि उपज मंडियां बंद हैं। राज्य सरकार द्वारा ई उपार्जन पोर्टल पर पंजीयन के माध्यम से किसानों की गेंहूं की फसल को क्रय किया गया है किन्तु वर्तमान हालातों में सभी किसान अपनी फसल को पंजीयन के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं बेच पाये हैं।”
उन्होंने आगे लिखा है कि, “किसानों की धनिया, सरसो और चने की फसल भी नहीं बिक पाई है। छोटे किसानों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी खाद, बीज एवं अन्य कृषि संबन्धी आवश्यकताओं के लिये साहूकारों से ऊंची ब्याज दर पर कर्ज लिया जाता है, जो उन्हें फसल आते ही चुकाना होता है। मंडियां बंद होने से अनेक किसान अपनी उपज को बेच नहीं पा रहे हैं, जिसके कारण वे साहूकारों से ब्याज पर ली गई राशि चुकाने में असमर्थ हैं। ऐसी स्थिति में किसानों पर काफी मानसिक दबाव है तथा उन पर साहूकारों का बकाया चुकाने के लिये दबाव है और ब्याज बढ़ता जा रहा है जो किसानों के लिये तनाव का कारण है।”
दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में सुझााव दिया है कि जो किसान अपनी रबी की फसल जैसे गेंहू, चना, धनिया अथवा सरसों आदि नहीं बेच पाये हैं, उनके लिये फसलों को बेचने हेतु कोरोना गाइडलाइन्स का पालन करते हुए व्यवस्था की जाये। इसके लिये सरकार ई-उपार्जन पोर्टल के माध्यम से किसानों की फसल का पंजीयन पुन: प्रारंभ करे तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उनकी फसल को उनके गांव व खलिहान से सीधे क्रय की जाये।
पूर्व मुख्यमंत्री का सुझाव है कि मंडियां बंद होने के कारण किसानों को हो रहे आर्थिक नुकसान के लिये उन्हे विशेष पेकेज दिया जाना चाहिए ताकि वर्तमान हालात में वे अपना गुजारा कर सकें। पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि बीज और कीटनाशकों की दर निर्धारित की जानी चाहिए एवं अमानक बीज के विक्रय और उसकी कालाबाजारी को रोकने के लिये पहले से ही प्रबंध करना चाहिए।
कई स्थानों पर फल व सब्जी आदि न मिलने की शिकायतें सामने आ रही हैं। इसको लेकर सिंह ने कहा है कि फल, सब्जी आदि जल्दी खराब हो जाते हैं, इसलिये उन्हें स्टोर करना मुश्किल है। इसलिए उनके लिए छोटी छोटी वैकल्पिक मंडियो की व्यवस्था की जानी चाहिए एवं नुकसान की स्थिति में सरकार द्वारा सीधे किसानों को मदद की जानी चाहिए।