नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोविड-19 से सर्वाधिक प्रभावित देश के 10 राज्यों के 54 जिलाधिकारियों के साथ आज संवाद सीधा किया । बैठक क बाद उन्होंने कहा कि महामारी जैसी आपदा के सामने सबसे ज्यादा अहमियत हमारी संवेदनशीलता और हमारे हौंसले की ही होती है। इसी भावना से आपको जन जन तक पहुंचकर, जैसे काम आप कर रहे हैं उन्हें और अधिक ताकत और अधिक पैमाने पर करते ही रहना है। इस बैठक में पश्चिम बंगाल समेत उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, पुड्डुचेरी, राजस्थान, महाराष्ट्र, झारखंड, उड़ीसा, केरल और हरियाणा के जिलाधिकारी शामिल हुए।
बैठक की मुख्य बातें इस प्रकार:-
- आज परिस्थितियों ने आपको अपनी क्षमताओं की नई तरह से परीक्षा लेने का अवसर दिया है।
- अपने जिले की छोटी से छोटी दिक्कत को दूर करने के लिए पूरी संवेदनशीलता के साथ लोगों की समस्याओं का समाधान करने के लिए आपकी यही भावना आज काम आ रही है।
- जब फील्ड पर मौजूद लोगों से बातचीत होती है, तो ऐसी अभूतपूर्व परिस्थितियों से निपटने में बहुत अधिक मदद मिलती है।
- बीते कुछ दिनों में ऐसे अनेक सुझाव मिले हैं, अनेक जिलों में परिस्थिति के अनुसार कईं इन्नोवेटिव तरीकों की भी जानकारी आप लोगों से मिली है।
- बीते कुछ समय से देश में एक्टिव केस कम होना शुरू हुए हैं।
- लेकिन आपने इन डेढ़ सालों में ये अनुभव किया है कि जब तक ये संक्रमण माइनर स्केल पर भी मौजूद है, तब तक चुनौती बनी रहती है।
कोरोना की ज़मीनी स्थिति पर हुई चर्चा
इससे पहले प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और सर्वाधिक प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ कई दौर की बैठकें कर चुके हैं। बैठक में देश के जिलों में कोरोना की ज़मीनी स्थिति क्या है और इसकी रोकथाम कैसे की जाए, इस पर जिलाधिकारियों के साथ चर्चा की गई। बताया जा रहा है कि ये वे जिले हैं जहां कोरोना के सबसे ज्यादा मामले हैं। जानकारी के मुताबिक, इस मीटिंग में सबसे ज्यादा महाराष्ट्र के जिलाधिकारी शामिल हुए।
ममता बनर्जी ने किया इस बैठक का विरोध
कहा जा रहा है कि पश्चिम बंगाल के 9, उत्तर प्रदेश के 4, राजस्थान के पांच, ओडिशा के 3 जिले जबकि पुडुचेरी के 1 जिले के ताजा हालात पर चर्चा होगी। हालांकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री की तरफ से की जा रही इस कवायद का विरोध किया था। ममता बनर्जी यह मानती हैं कि पीएम की सीधे डीएम के साथ मीटिंग करना सीएम को नजरअंदाज करने जैसा है जो देश के संघीय ढांचे का अपमान है।