गुजरात की सूरत लोकसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार निलेश कुंभानी का पर्चा खारिज होने और अन्य प्रत्याशियों के द्वारा अपना पर्चा वापस लेने के बाद भाजपा उम्मीदवार मुकेश दलाल को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया था। अब सूरत में दोबारा चुनाव कराने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल की गई है। इसके लिए मतदाताओं के नोटा विकल्प पर वोट देने के अधिकार को आधार बनाया गया है। याचिकाकर्ता प्रताप चंद्र ने अमर उजाला से कहा कि लोकतंत्र में मतदाताओं को उनके किसी भी विकल्प से वंचित रखना लोकतांत्रिक मूल्यों का अपमान है। यह मतदाताओं के अधिकारों का अवमूल्यन भी है। चूंकि सूरत लोकसभा सीट पर चुनाव करवाये बिना ही भाजपा उम्मीदवार को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया, यह मतदाताओं से नोटा विकल्प को छीनने जैसा है, जो किसी भी तरह सही नहीं कहा जा सकता। उनके अनुसार मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए सूरत में चुनाव कराना बेहद आवश्यक है।