अफगानिस्तान के मामले में पाकिस्तान के बदलते रुख पर तालिबान सरकार कड़ी नजर रख रही है। यहां ये आम समझ बनी है कि पिछले साल तालिबान के सत्ता में काबिज होने के बाद पाकिस्तान ने जो दोस्ताना रुख दिखाया था, वह दौर गुजर चुका है। अब पाकिस्तान की ज्यादा दिलचस्पी अफगानिस्तान में अड्डा बनाए आतंकवादी संगठनों को नियंत्रित करने में है। साथ ही वह अफगानिस्तान में भारत की संभावित भूमिका को रोकने की कोशिश में जुटा हुआ है। इससे अफगानिस्तान की मौजूदा सरकार के साथ पाकिस्तान के रिश्तों में कड़वाहट लगातार बढ़ रही है।
विश्लेषकों के मुताबिक पाकिस्तान की शिकायत यह है कि तालिबान सरकार ने उसकी चिंताओं को दूर नहीं किया है। तालिबान के सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों में 56 फीसदी का इजाफा हुआ है। अफगानिस्तान में अल-कायदा, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और इस्लामिक स्टेट खोरासान (आईएसआईएस-के) के अड्डे पहले की तरह मौजूद हैं। पाकिस्तान का आरोप है कि ये गुट ही सीमा पार से उसके यहां आतंकवादी हमले कर रहे हैं। खासकर टीटीपी का निशाना पाकिस्तान बना हुआ है।