ठोस सबूत, अमेरिका नरसंहार के लिए पूरी तरह जि़म्मेदार’

ठोस सबूत, अमेरिका नरसंहार के लिए पूरी तरह जि़म्मेदार’

2 फरवरी को चीनी विदेश मंत्रालय की वेबसाइट ने अमेरिका द्वारा रेड-इंडियंस के नरसंहार के ऐतिहासिक तथ्य और वास्तविक सबूत शीर्षक लेख जारी किया, जिसमें रेड-इंडियंस की भौतिक से सांस्कृतिक विनाश तक की दुखद स्थिति का विवरण किया गया है और बाहरी दुनिया को ठोस तथ्यों से अमेरिका द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन के अपराधों को दिखाया गया। नरसंहार, निष्कासन, जबरन अपने में सम्मिलित करना आदि अमेरिका की स्थापना के बाद से अमेरिका ने विभिन्न क्रूर माध्यमों से रेड-इंडियंस को जीवन अधिकार और बुनियादी राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों से व्यवस्थित रूप से वंचित किया है। अंतर्राष्ट्रीय कानून या अमेरिकी घरेलू कानून के अनुसार अमेरिका ने रेड-इंडियंस के प्रति जो किया वह पूरी तरह से नरसंहार था।

आंकड़े बताते हैं कि रेड-इंडियंस की जनसंख्या 1492 के 50 लाख से गिरकर 20वीं सदी की शुरूआत के 2.5 लाख हो गई। रेड-इंडियंस की जनसंख्या में तेज कटौती के साथ साथ अमेरिका ने रेड-इंडियंस को जबरन अपने में सम्मिलित किया और जघन्य सांस्कृतिक नरसंहार भी किया। रेड-इंडियंस जनजातियों को अपनी स्वायत्तता से पूरी तरह वंचित करना, रेड-इंडियंस संस्कृति को मिटाना, रेड-इंडियंस के बच्चों को जातीय भाषा बोलने से रोकना आदि।

इस का परिणाम है कि रेड-इंडियंस अभी भी अस्तित्व और विकास के गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। बिगड़ते रहन-सहन का माहौल, सामाजिक सुरक्षा की कमी, निम्न राजनीतिक स्थिति…रेड-इंडियंस की कमजोर स्थिति को मजबूती से स्थापित किया गया।

लंबे समय से, अमेरिका खुद को मानवाधिकार शिक्षक कहता रहता है, जो मनमाने ढंग से दूसरे देशों के आंतरिक मामलों और मानवाधिकार स्थिति में हस्तक्षेप करता है, लेकिन वह अपने स्वयं के मानवाधिकारों की कमी को छिपाने की पूरी कोशिश करता रहा, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की व्यापक आलोचना मिली। कई देशों ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद और अन्य अवसरों के माध्यम से अमेरिका द्वारा रेड-इंडियंस के नरसंहार और वर्तमान रेड-इंडियंस के अधिकारों के उल्लंघन की कड़ी निंदा की है और उससे गंभीरता से आत्मविचार करने और अपनी गलतियों को ठीक करने का आग्रह किया।

बढ़ती आलोचना के सामने अमेरिकी सरकार को न सुनने का नाटक नहीं करना चाहिए। उसे रेड-इंडियंस के खिलाफ किए गए नरसंहार का सामना करना चाहिए। मानवाधिकारों के मुद्दों पर वह दोहरे मानकों के साथ कितना भी खिलवाड़ करे, ऐतिहासिक रिकॉर्ड और ढेर सारे तथ्यों ने इसे साबित कर दिया है कि नरसंहार एक ऐतिहासिक दाग है जिसे अमेरिका कभी नहीं धो सकेगा।

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