MP में बाढ़ से 33.55 करोड़ के पुल डूबे: सिंध नदी में बह गए 5 पुल, PWD मंत्री ने बैठाई जांच

MP में बाढ़ से 33.55 करोड़ के पुल डूबे: सिंध नदी में बह गए 5 पुल, PWD मंत्री ने बैठाई जांच

भोपाल। मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल संभाग में बाढ़ ने कहर बरपा दिया है। बांधों के गेट खोलने से सिंध और सीप नदी का ऐसा रौद्र रूप सामने आया कि 6 पुलों को भारी नुकसान हुआ है। सिंध नदी पर बने 5 पुल दो दिन में ढह गए। इन पुलों का निर्माण 5 से 11 साल पहले ही हुआ है। इसके अलावा दो पुल ऐसे हैं, जिनका रिकॉर्ड ही उपलब्ध नहीं है। इनका निर्माण 39 और 35 साल पहले हुआ था। लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने जांच के लिए कमेटी बना दी है।

मंत्रालय सूत्रों के अनुसार बाढ़ में बहे और क्षतिग्रस्त 4 पुलों की निर्माण लागत 33.55 करोड़ रुपए है। मंगलवार को सिंध नदी के तेज पानी में गोराघाट के नजदीक लांच का पुल और रतनगढ़ वाली माता मंदिर का पुल टूट गए। बुधवार को दतिया जिले में सिंध नदी पर बना सेंवढ़ा पुल बह गया और इंदुर्खी पुल क्षतिग्रस्त हुआ है। इसके अलावा, नरवर-ग्वालियर को जोड़ने वाले पुल का एक हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। इसी तरह, सीप नदी पर बने श्योपुर- मानपुर और श्योपुर-बडोदा मार्ग के 2 पुल बाढ़ में क्षतिग्रस्त हो गए हैं।

मुख्य अभियंता (सेतु) संजय खांडे ने बाढ़ में क्षतिग्रस्त हुए पुलों की प्रारंभिक रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। इसके मुताबिक दतिया-सेंवढ़ा को जोड़ने वाले सिंध नदी पर 1982 में बने पुल का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। इसी तरह, श्योपुर जिले के गिरधरपुर-मानपुर पुल का निर्माण 1985 में हुआ था, लेकिन इसके निर्माण की फाइल भी गायब है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बाढ़ का पानी कम नहीं हुआ है। ऐसे में क्षति का आकलन फिलहाल नहीं किया जा सकता है।

बहरहाल, इन दो पुराने पुलों को छोड़कर शेष 4 पुल क्षतिग्रस्त होने पर सवाल खड़े हो गए हैं। सिंध नदी पर बने 3 पुल रतनगढ़ – बसई (2010), इंदरगढ़-पिछोर (2013) और गोरई-अडोखर (2017) बह गए हैं। इसी तरह श्योपुर-बड़ोदा को जोड़ने वाला सीप नदी पर बना एक पुल वर्ष 2013 में बना था।

SE सिंह की अध्यक्षता में बनी जांच कमेटी
अधीक्षण यंत्री (सेतु मडंल) एमपी सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है। समिति जांच कर 7 दिन में रिपोर्ट देगी। समिति में एग्जिक्यूटिव इंजीनियर सेतु संभाग-सागर पीएस पन्त और एसडीओ सेतु संभाग भोपाल अविनाश सोनी सदस्य बनाए गए हैं।

100 साल के रिकॉर्ड का आकलन होता है
जल संसाधन विभाग के रिटायर चीफ इंजीनियर टीआर कपूर के मुताबिक जितने भी बड़े पुलों का निर्माण किया जाता है, उसका डिजाइन तैयार करने से पहले 100 सालों में आई बाढ़ के रिकॉर्ड का आकलन किया जाता है। इसका नियमों में प्रावधान किया गया है। डिजाइन में बाढ़ के उच्चतम अनुमानित स्तर का आकलन कर वर्टिकल गेप रखा जाता है, जो बाढ़ के पूर्व अनुमान की मात्रा के आधार पर 150 से 1500 मिलीमीटर के बीच होता होता है।

बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने उठाए सवाल
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा ने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा, जिस पानी को डायवर्ट किया जा सकता था, ऐसा नहीं किया गया। उसी का परिणाम प्रदेश भुगत रहा है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि रोड धंस गए और बांध टूट गए हैं। पुराने पुल खड़े हैं और नए पुल टूट रहे हैं।

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