सागर में नसबंदी के गलत ऑपरेशन से महिला की मौत

सागर में नसबंदी के गलत ऑपरेशन से महिला की मौत

सागर। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (बीएमसी) में नसबंदी का ऑपरेशन कराने वाली बरियाघाट की महिला निकिता जैन ने मंगलवार दोपहर इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। आरोप है कि महिला की मौत गलत ऑपरेशन की वजह से हुई है। ऑपरेशन के दो दिन बाद महिला की हालत बिगड़ने लगी। परिजन निकिता को निजी अस्पताल ले गए, वहां डॉक्टरों ने महिला के पेट में जमा करीब 3 लीटर खून निकाला। डॉक्टरों के मुताबिक 12 दिन पहले नसबंदी के दौरान महिला की खून की नस कट गई थी। इससे पेट में ब्लीडिंग होती रही। महिला का ऑपरेशन भोपाल से आईं स्वास्थ्य विभाग की जॉइंट डायरेक्टर डॉ. शशि ठाकुर ने किया था।

नसबंदी कराने की भुगत रहे सजा
महिला का पति सौरभ जैन सेल्समैन है। सौरभ ने बताया कि आंगनबाड़ी सहायिका सरिता चौरसिया ने उन्हें नसबंदी के लिए प्रेरित किया था। वह 28 जुलाई को बीएमसी में पत्नी का ऑपरेशन कराने गए थे। भोपाल से आईं डॉ. शशि ठाकुर ने पत्नी का ऑपरेशन किया। दो दिन बाद पत्नी की हालत बिगड़ गई। आनन-फानन में उसे निजी अस्पताल ले गए, जहां जांच के दौरान पता चला कि ऑपरेशन के दौरान पेट में ही खून की नस कटने से पेट में लगातार ब्लीडिंग हो रही है। यहां से भी दूसरे निजी अस्पताल रैफर कर दिया।

वहां डॉ. संतोष राय ने 31 जनवरी को पत्नी का ऑपरेशन कर ब्लीडिंग रोक दी, लेकिन तब तक शरीर में सिर्फ 3 प्रतिशत हीमोग्लोबिन बचा था। डॉक्टरों ने जिला अस्पताल के ब्लड बैंक से खून, प्लाज्मा और प्लेटलेट्स लाने को कहा, लेकिन इतनी लापरवाही के बाद भी हमें बगैर डोनर और राशि के ब्लड नहीं मिला। ऐसे में हर दिन डोनर ढूंढ-ढूंढ कर 6 यूनिट रक्त, 10 यूनिट प्लाज्मा और 5 प्लेट्स लगाए गए। इसके बाद भी हीमोग्लोबिन नहीं बढ़ा, तो पता चला कि पत्नी का शरीर बाहरी ब्लड नहीं ले रहा। इसके बाद निकिता को बीएमसी के आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया। मेरा 3 साल का बेटा और 6 माह की बेटी हर दिन मां के लिए रोते हैं।

शरीर में नहीं बढ़ रहा था हीमोग्लोबिन
सौरभ के मुताबिक डॉक्टरों ने उसे बताया कि पेट में ब्लीडिंग तो रुक गई, लेकिन इंफेक्शन होने से निकिता डीआईसी का शिकार हो गई। फिर उसे खून देने पर भी हीमोग्लोबिन नहीं बढ़ रहा था। ऐसे में आर्थिक तंगी के चलते परिजन ने निकिता को बीएमसी की आईसीयू में भर्ती कराया था।
मामले में डॉ. शशि ठाकुर का कहना है कि ‘मैं 50 हजार के करीब ऑपरेशन कर चुकी हूं। अब तक किसी में कोई दिक्कत नहीं आई। परिजन आरोप लगा रहे है तो उसमें मैं क्या कर सकती हूं। यदि नश कटती तो मरीज एक दिन भी जीवित नहीं रहता, जबकि मरीज के परिजन उसे पांच दिन बाद प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया। इसके बाद गंभीर होने पर बीएमसी लेकर गए। उनकी मौत का अन्य कारण हो सकता है।’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

English Website