बिहार में JDU से सीट शेयरिंग का मुद्दा सुलझाने का भूपेंद्र को मिला इनाम, श्रम रोजगार व पर्यावरण मंत्री बने

बिहार में JDU से सीट शेयरिंग का मुद्दा सुलझाने का भूपेंद्र को मिला इनाम, श्रम रोजगार व पर्यावरण मंत्री बने

नागौर। मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए भूपेंद्र यादव को दो बड़े व अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी है। उन्होंने श्रम रोजगार व पर्यावरण मंत्रालय का कामकाज संभाल लिया है। यादव राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं। संगठन गढ़ने और चुनावी मैनेजमेंट में माहिर माने जाने वाले भूपेंद्र यादव के केंद्र में कैबिनेट मंत्री बनने के पीछे राजस्थान और हरियाणा में सियासी समीकरण साधने की कवायद तो है ही, साथ ही RSS और BJP के टॉप नेताओं से उनके अच्छे संपर्कों के अलावा अब तक पार्टी द्वारा उन्हें मिली जिम्मेदारियों में उनकी शत-प्रतिशत सफलता का ट्रैक रिकॉर्ड शामिल रहा है।

कार्यभार संभालने के बाद भूपेंद्र यादव ने कहा- मुझे उम्मीद है कि मैं श्रम और रोजगार मंत्री के रूप में इस महान राष्ट्र के लोगों की सेवा करने और भारत के विकास के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को साकार करने में सक्षम हो पाऊंगा।

भूपेंद्र को मिस्टर भरोसेमंद बनाने वाले फैक्ट्स
बिहार में प्रदेश प्रभारी के नाते JDU के साथ दुबारा गठबंधन करके शीट शेयरिंग के उलझे हुए मसले को सुलझाना और उसके बाद भाजपा को बिहार में जेडीयू के मुकाबले भी मजबूती से सत्ता में लाना। इसके अलावा तेलंगाना जैसे राज्य में भी भाजपा के जनाधार को बढ़ाते हुए पार्टी को मजबूत करने के पीछे भूपेंद्र यादव की ही मेहनत है। राम मंदिर केस में उनकी भूमिका भी एक प्रमुख कारण माना जा रहा है। राम मंदिर केस में उन्होंने जिस तरह सबूत जुटाने से लेकर पैरवी तक में सहायता दी उससे ही RSS और BJP में उनका कद बढ़ा। भूपेंद्र यादव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का मिस्टर भरोसेमंद माना जाता है। गठबंधन के सहयोगी दलों के साथ तालमेल बनाने से लेकर राज्यसभा में अहम् बिलों को पास कराने तक की जिम्मेदारी यादव के कन्धों पर होती है, जिन्हें वो अपनी काबिलियत से बखूभी अंजाम देते है।

भूपेंद्र यादव सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं। यादव वकालत के दौरान उस समय BJP के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री दिवंगत अरुण जेटली के संपर्क में आए थे। इसके बाद यादव का राजनीतिक सफर शुरू हुआ। जेटली ने ही राम मंदिर केस से संबंधित जिम्मेदारी यादव को सौंपी, इस केस में यादव ने खूब मेहनत की। राम मंदिर केस में भूमिका निभाने के बाद यादव का BJP और संघ में उच्च स्तर पर संपर्क बढ़ा और फिर लगातार तरक्की करते गए। 2010 में वे BJP राष्ट्रीय मंत्री बनाए गए, फिर 2012 में राजस्थान से राज्यसभा में भेजे गए, 2018 में राजस्थान से ही दोबारा राज्यसभा सांसद बने।

निर्विवाद छवि और साइलेंट वर्कर के तौर पर पहचान
भूपेंद्र यादव की छवि साइलेंट वर्कर की रही है और उनकी निर्विवाद छवि का फायदा भी उन्हें मिला। यादव को संगठन में जो भी जिम्मेदारियां दी गई उनमें भी परफार्मेंस दिखाई। राम मंदिर के अलावा BJP और RSS के नेताओं के खिलाफ UPA राज में हुए मुकदमों से राहत दिलाने के लिए बनी लीगल टीम का यादव प्रमुख हिस्सा रहे हैं।

भूपेंद्र यादव का कद बढ़ाकर BJP ने राजस्थान-हरियाणा से एक और चेहरा उभारा
भूपेंद्र यादव को कैबिनेट मंत्री बनाकर केंद्र में उन्हें एक बड़े चेहरे के तौर पर स्थापित करने की कवायद की गई है। आगे चलकर उन्हें पार्टी के चेहरे के तौर पर पेश किया जा सकता है। राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक भूपेंद्र यादव का कद बढ़ाकर मोदी ने दो राज्यों के लिए उपयुक्त फेस तैयार करने की कवायद की है। भूपेंद्र यादव मूल रूप से हरियाणा के हैं और अजमेर में पले-बढ़े हैं, इसलिए दो राज्यों से जुड़ाव है। जरूरत पड़ने पर चुनावों के दौरान दोनों ही राज्यों में भाजपा उनका इस्तेमाल कर सकती है। पार्टी के अंदरूनी सियासी समीकरणों के लि​हाज से भी भूपेंद्र यादव का कद बढ़ाकर कई नेताओं को सियासी मैसेज दिया गया है।

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