नई कारों की डिलीवरी का लंबा इंतजार पुरानी गाड़ियों के बाजार पर पड़ रहा भारी, 10 लाख ग्राहक अटके

नई कारों की डिलीवरी का लंबा इंतजार पुरानी गाड़ियों के बाजार पर पड़ रहा भारी, 10 लाख ग्राहक अटके

नई दिल्ली। देश में इन दिनों लगभग पांच लाख लोग सस्ती पुरानी कारें खरीदने की बाट जोह रहे हैं, वहीं तकरीबन पांच लाख ग्राहक पहले से बुक नई कारों की डिलीवरी लेने का इंतजार कर रहे हैं। आपको ये सुन कर थोड़ा अचरज जरूर होगा, लेकिन इन दोनों तरह के ग्राहकों में एक गहरा और खास ‘संबंध’ है। दरअसल कोरोना की वजह से पैसेंजर व्हीकल मार्केट में वाहनों की कमी हो गई है, क्योंकि लोग अब निजी वाहनों की खरीदारी पर ज्यादा जोर दे रहे हैं।

पुरानी कारों की सप्लाई गिरी
वहीं अगर ऑटोमोबाइल सेक्टर में काम आने वाली जरूरी चिप और दूसरे पार्ट्स की कमी बनी रही तो ग्राहकों के लिए नई और पुरानी गाड़ियों का इंतजार और बढ़ सकता है। पुराने वाहनों की खरीद फरोख्त के कारोबार से जुड़ी एक कंपनी के सूत्र का कहना है कि अगर नई कारों और एसयूवी की डिलीवरी में ऐसे ही देरी लंबे समय तक बनी रही तो लोग नई गाड़ियां खरीदने से परहेज करेंगे, और उनकी इस्तेमालशुदा पुरानी गाड़ियां यूज्ड कार मार्केट में पहुंच नहीं पाएंगी। सूत्र का कहना है कि यूज्ड कार बाजार को हमेशा कारों की सप्लाई जरूरत होती है और यह इसी पर टिकी हुई है। नका कहना है कि अगर आपूर्ति निर्बाध रूप से बनी रहती, तो पुरानी कार मार्केट का बाजार फलफूल रहा होता।

20-40 फीसदी गाड़ियां एक्सचेंज वाली
महिंद्रा फर्स्ट च्वाइस की ब्लू बुक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अभी भी यूज्ड कार मार्केट अभी भी असंगठित है और इस बाजार में आने वाली गाड़ियों में 10 से 20 फीसदी गाड़ियां नीलामी के जरिए आती हैं, क्योंकि कार लोन न चुकाने वालों की गाड़ियां लोन देने वाली कंपनियां जब्त कर लेती हैं। वहीं 20 से 40 फीसदी गाड़ियों की सप्लाई ब्रोकर्स को होती है। जबकि 20 से 40 फीसदी गाड़ियां यूज्ड कार मार्केट में एक्सचेंज वाली होती हैं, जिन्हें ग्राहक नई गाड़ी के बदले कार डीलर्स को बेच देते हैं।

सप्लाई और मांग का अनुपात बिगड़ा
आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021 में लगभग 39 लाख पुरानी गाड़ियों की बिक्री हुई, जो पिछले वित्त वर्ष 2020 के मुकाबले सात फीसदी कम है। 2021 की शुरुआत में अनुमान लगाया गया था कि महामारी के अर्थिक प्रभाव के चलते गाड़ियों की बिक्री में 35-40 फीसदी की गिरावट आ सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक आर्थिक मंदी के बावजूद ऑटोमोबाइल सेक्टर में, यूज्ड कार मार्केट ने 2016 से 2020 के बीच 6.21 फीसदी की सालाना विकास दर हासिल की है, जबकि नई गाड़ियों की बिक्री में 0.09 फीसदी की गिरावट आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूज्ड कार मार्केट में सप्लाई और मांग का अनुपात बिगड़ गया है। महामारी के दौरान सार्वजनिक वाहनों के मुकाबले निजी गाड़ियों को प्राथमिकता, लॉकडाउन के कारण वाहनों का कम उपयोग और कार खरीदने के लिए जरूरी आय पर इसका जबरदस्त प्रभाव पड़ा है।     
 
पुरानी कार रिप्लेस करने वालों की संख्या घटी
मारुति सुजुकी के मुताबिक, बहुत कम लोग नई कार खरीदने के लिए पुरानी कारों को बेच रहे हैं, जबकि उनकी पहली कार खरीदने वालों की संख्या पांच फीसदी से बढ़कर 50 फीसदी तक पहुंच गई है। इसके अलावा अतिरिक्त कार खरीदने वालों की संख्या में भी लगभग तीन फीसदी की वृद्धि हुई है। इसके अलावा नई कार खरीदने के लिए पुरानी कार रिप्लेस करने वालों की संख्या आठ फीसदी घटी है, जबकि नए खरीदारों की संख्या 18-19 फीसदी कम हुई है। मारुति का कहना है कि कार एक्सचेंज करने वाले ग्राहक यूज्ड कार मार्केट के लिए अहम भूमिका निभाते है। लेकिन इस दौरान पुरानी कारों के बदले नई कार खरीदारों की संख्या घटी है, जिसका प्रभाव आपूर्ति पर पड़ा है और इसके चलते पिछले एक साल में पुरानी कारों के दाम 1-2 फीसदी तक बढ़े हैं। इनमें प्रसिद्ध मॉडल्स जैसे मारुति सुजुकी स्विफ्ट, डिजायर, ह्यूंदै क्रेटा, टोयोटा इनोवा और फॉर्च्यूनर जैसी गाड़ियों के दामों में औचक बढ़ोतरी हुई है।

भारत में जहां कारों की रिप्लेसमेंट साइकिल साढ़े चार साल तक है, वहीं अमेरिका में अमूमन 3-3.5 सालों में लोग गाड़ी बदल देते हैं। वहीं विकसित देशों में हर दो पुरानी कारों पर एक नई कार बिकती है, जबकि भारत में 1.7 से एक तक है। पुरानी कारों की बिक्री से लोगों को उम्मीद है कि भारत में यह आंकड़ा 2:1 तक पहुंचेगा। 2025 तक अनुमान है कि यूज्ड कारों की संख्या में 1.9 गुना तक की बढ़ोतरी होगी।

English Website