तय नहीं हो पा रहे पदाधिकारियों के नाम

तय नहीं हो पा रहे पदाधिकारियों के नाम

टीम एब्सल्यूट भोपाल मप्र भाजपा की कमान संभाले हुए वीडी शर्मा को छह माह से अधिक का समय हो चुका है लेकिन वे अब तक अपनी टीम का गठन नहीं कर सके हैं। बताया जा रहा है कि टीम के गठन में सबसे बड़ा रोड़ा श्रीमंत समर्थक बन रहे हैं। पार्टी यह तय नहीं कर पा रही है कि श्रीमंत के कौन-कौन से समर्थकों को टीम में शामिल किया जाए और किस पद पर। फिलहाल इसे लेकर पार्टी में मंथन का दौर जारी है। इस हालात के चलते शर्मा को छह साल पुरानी संगठन की टीम से ही काम चलाना पड़ रहा है। पहले कहा जा रहा था कि शिव मंत्रिमंडल के पूर्ण गठन के तत्काल बाद ही वीडी टीम का गठन कर लिया जाएगा। कुछ दिन पहले तक टीम के गठन को लेकर सक्रियता भी अब नेताओं में नहीं दिख रही है। सक्रियता के दौरान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और सुहास भगत की लगातार सीएम शिवराज सिंह चौहान और नरेन्द्र सिंह तोमर के साथ बातचीत हो रही थी। हाल ही में ग्वालियर में बड़ी तादाद में श्रीमंत समर्थक पार्टी में शामिल हुए, जिससे फिर मामला अटक गया है। उप चुनाव के चलते पार्टी बेहद सर्तक है और वह नहीं चाहती कि कार्यकारिणी के गठन को लेकर किसी तरह का कोई विवाद हो जो असंतोष की वजह बनकर उपचुनाव पर असर डाले। लिहाजा अब टीम के लिए नामों का चयन दिल्ली में आला नेताओं पर छोड़ा पड़ गया है।
उपचुनाव बाद की संभावना
पार्टी सूत्रों की माने तो बन रहे हालातों की वजह से फिलहाल टीम वीडी के गठन का काम फिलहाल उपचुनाव तक टाला जा सकता है। इस बीच नामों को तय करने के लिए समय मिल जाएगा और अंसतोष होने पर संभावित नुकसान से भी बचा जा सकेगा। गौरतलब है कि करीब दो साल तक प्रदेश अध्यक्ष रहे राकेश सिंह भी नई टीम गठित नहीं कर सके थे। इस वजह से उन्हें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान की टीम से ही काम चलाना पड़ा था।
अभाविप नेताओं को मिलेगा तहत्व : पार्टी सूत्रों का यह भी कहना है कि इस बार भाजपा की प्रदेश कार्यकारणी में विद्यार्थी परिषद के नेताओं को महत्व मिलना तय है। इसकी वजह है वीडी की टीम में लंबे समय तक सक्रिय रहे नेताओं को फिर से टीम में शामिल किए जाने की उनकी इच्छा। माना जा रहा है कि नई टीम में परिषद के करीब आधा दर्जन चेहरों को शामिल किया जा सकता है। यही वजह है कि कई परिषद नेता अपनी संभावना के चलते अभी से प्रदेश भाजपा मुख्यालय में सक्रिय देखे जा सकते हैं। इसके साथ ही माना जा रहा है की युवामोर्चा का पद भी परिषद के खाते में जाना तय है। नई टीम में दस उपाध्यक्षए दस प्रदेश मंत्री और चार महासचिव बनाए जाने हैं। इनमें से एक महासचिव अनुसूचित जाति.जनजाति वर्ग का होगा। इसके अलावा एक महासचिव का पद किसी महिला नेत्री को भी दिया जाना है।

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