नयी दिल्ली: किसानों से संबंधित मुद्दे देश में काफी समय से विवादास्पद रहे हैं, खासकर जब केंद्र सरकार ने साल 2020 में संसद में तीन कृषि सुधार कानून पारित किये और भारी विरोध प्रदर्शन के कारण उन्हें वापस लेने पर बाध्य हो गई।
सरकार इस बात पर जोर देती रही है कि वह किसानों की आय में सुधार के लिए हरसंभव कदम उठा रही है लेकिन विपक्षी दल और कुछ किसान संगठन का आरोप है कि सरकार कुछ ठोस करने के बजाय सिर्फ जुमलेबाजी कर रही है।
सरकार द्वारा पहले पारित तीन कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसान संगठन सिर्फ कानून रद्द करने से ही संतुष्ट नहीं थे। वे एक नया कानून पारित कराना चाहते हैं जिसके तहत निजी क्षेत्र के लिए भी यह अनिवार्य किया जाये कि वे किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही उत्पाद खरीदे।
हालांकि, सरकार ने इस मांग को नहीं माना लेकिन उसने सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार किया कि जब भी जरूरत होगी एमएसपी को नियमित आधार पर बढ़ाया जाता रहेगा।
इसी प्रतिबद्धता के तहत सरकार ने विपणन सीजन 2022-23 के लिए 14 खरीफ फसलों के लिए एमएसपी बढ़ाने की घोषणा की, जिनकी कटाई इस साल के अंत में होनी है।
आईएएनएस की ओर से सी वोटर द्वारा किये गये एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण के दौरान अधिकांश प्रतिभागियों की राय थी कि इस कदम से किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। शेष्ज्ञ प्रतिभागियों का मानना था कि एमएसपी बढ़ाये जाने के बावजूद किसानों की आय में सुधार नहीं होगा।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया लगभग समान रही। वस्तुत: किसी भी श्रेणी में 50 प्रतिशत से अधिक प्रतिभागियों के अनुसार, एमएसपी में वृद्धि से किसानों की आय बढ़ेगी। बेतहाशा गर्मी और लू के थपेड़ों सहित मौसम के मिजाज को देखते हुए सरकार ने यह अनुमान लगाया है कि फसलों का उत्पादन पूर्व में अनुमानित फसल उत्पादन से कम होगा।