अदाणी पोर्ट्स ने अधिग्रहण के बाद कैसे देश के बंदरगाहों की विकास क्षमता का किया इस्तेमाल

अदाणी पोर्ट्स ने अधिग्रहण के बाद कैसे देश के बंदरगाहों की विकास क्षमता का किया इस्तेमाल

देश के सबसे बड़े निजी पोर्ट ऑपरेटर अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) ने इस महीने की शुरुआत में घोषणा की थी कि उसने (अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाहों सहित) वित्त वर्ष 2023-24 में 42 करोड़ टन कार्गो हैंडल किया जो कंपनी की यात्रा में एक नया मील का पत्थर है।

वर्ष दर वर्ष आधार पर यह 24 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि है, जिसमें घरेलू बंदरगाहों ने 40.8 करोड़ टन से ज्यादा का योगदान दिया।

कंपनी को पहली बार 10 करोड़ टन वार्षिक कार्गो थ्रूपुट हासिल करने में 14 साल लगे। वहीं, 20 करोड़ टन का आंकड़ा हासिल करने में अगले पांच साल तथा 30 करोड़ टन तक पहुंचने में तीन साल और लगे।

विशेष रूप से, नवीनतम 10 करोड़ टन का आंकड़ा दो साल से भी कम समय में हासिल किया गया है।

यह प्रभावशाली उपलब्धि कैसे हासिल हुई?

एपीएसईजेड पिछले कुछ वर्षों में एकीकृत बंदरगाह इंफ्रास्ट्रक्चर सेवाओं के प्रदाता के रूप में उभरा है, जिसमें से गुजरात का मुंद्रा एसईजेड एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।

आठ हजार हेक्टेयर से अधिक में फैला ‘मुंद्रा इकोनॉमिक हब’ सबसे बड़े बहु-उत्पाद एसईजेड, मुक्त व्यापार एवं वेयरहाउसिंग क्षेत्र (एफटीडब्ल्यूजेड) और घरेलू औद्योगिक क्षेत्र के रूप में निवेश के विकल्प प्रदान करता है।

एपीएसईजेड के पहले बंदरगाह मुंद्रा पर 1998 में पहला जहाज आया था। तब से, कंपनी ने देश के पूर्वी और पश्चिमी तटों पर 15 बंदरगाहों और टर्मिनलों का एक नेटवर्क बनाया है।

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