न्यूयॉर्क, | अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन अगले सप्ताह भारत का दौरा करेंगे और इस दौरान वह भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करेंगे। ऑस्टिन का यह भारत दौरा ऐसे समय पर हो रहा है, जब वाशिंगटन एक उभरते हुए खतरे के रूप में चीन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
हिंद-प्रशांत सुरक्षा मामलों के सहायक कार्यवाहक रक्षा मंत्री डेविड एफ. हेलवी ने शुक्रवार को क्वाड शिखर सम्मेलन के बाद कहा, “नई दिल्ली में ऑस्टिन प्रमुख रक्षा साझेदारी के संचालन पर चर्चा करेंगे, जो हमारी भारत के साथ है, जिसमें उन्नत जानकारी साझा करना, क्षेत्रीय रक्षा सहोयग, रक्षा व्यापार और नए क्षेत्रों में सहयोग भी शामिल है।”
उन्होंने कहा कि भारत एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है, जिसमें नियमों पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध समान विचारधारा वाले देशों के साथ सहयोग शामिल है।
भारत-प्रशांत क्षेत्र में राष्ट्रपति जो बाइडेन की रणनीतिक प्राथमिकता शिफ्ट होने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारत ऑस्टिन की पहली विदेश यात्रा में शामिल है, जिसमें अमेरिकी संधि सहयोगी जापान और दक्षिण कोरिया भी शामिल हैं।
पिछले एक वर्ष के दौरान भारत चीनी आक्रामता का सामना कर रहा है। मई 2020 से ही चीन लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास यथास्थिति बदलने के प्रयास कर रहा है और भारत चीन द्वारा सीमा पार घुसपैठ का सामना कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप भारत के जवान शहीद हुए हैं चीनी पक्ष की ओर से भी सैनिक हताहत हुए हैं।
राष्ट्रपति जो बाइडेन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन और जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा के बीच पहले डिजिटल क्वाड शिखर सम्मेलन के बाद अब ऑस्टिन का भारत दौरा होने वाला है।
क्वाड शिखर सम्मेलन के दौरान चारों देशों के नेतृत्व ने दक्षिण और पूर्वी चीन समुद्र में नेविगेशन की स्वतंत्रता और बलपूर्वक शासन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की, जो मूल रूप से चीन के बारे में है।
उत्तर कोरिया परमाणु मुद्दा और म्यांमार तख्तापलट भी शिखर सम्मेलन के एजेंडे में शामिल है।
हेलवी ने कहा कि भारत एक महत्वपूर्ण सामरिक भागीदार है। उन्होंने कहा कि भारत दौरे से महत्वपूर्ण सहयोगियों के साथ विचारों के आदान-प्रदान का अवसर मिलेगा कि किस तरह से नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए साथ मिलकर काम किया जाए।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन यात्रा के एक हिस्से के तौर पर ऑस्टिन के साथ होंगे, जब वे टोक्यो और सियोल में शीर्ष रक्षा और कूटनीति अधिकारियों के साथ टू प्लस टू बैठकें करेंगे।
हालांकि ब्लिंकेन नई दिल्ली नहीं आएंगे, जहां पिछले साल अक्टूबर में टू प्लस टू संवाद हुआ था।
भारत और अमेरिका के बीच पिछले कुछ वर्षों से रक्षा संबंधों में तेजी आई है और अमेरिका ने भारत को अपना बड़ा रक्षा साझेदार भी बताया है। पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों ने कई महत्वपूर्ण रक्षा और सुरक्षा समझौतों पर दस्तखत किए हैं, जिसमें 2016 में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट (एलईएमओए) भी शामिल है।
इसके तहत दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के अड्डों का इस्तेमाल सैन्य साजो-सामान की मरम्मत और आपूर्ति के लिए कर सकती हैं। ऑस्टिन का अगले हफ्ते भारत का दौरा काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पहली बार बाइडेन प्रशासन का कोई शीर्ष अधिकारी भारत दौरे पर आ रहा है।
भारत की अमेरिका के साथ बढ़ती नजदीकी से चीन बेचैन है। कई चीनी विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि भारत और अमेरिका के बीच सैन्य गठबंधन कोई काम नहीं करेगा।