बीजिंग, | हाल में अमेरिका में महामारी की स्थिति नियंत्रण के बाहर हो गयी है। बीते एक हफ्ते में अमेरिका में रोज नये पुष्ट मामलों की संख्या 1 लाख 60 हजार दर्ज हो रही है, जो दो हफ्तों के औसत स्तर से 77 प्रतिशत ज्यादा है। 18 नवम्बर तक अमेरिका में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या ढाई लाख से अधिक हो चुकी है। पिछले हफ्ते तक अमेरिका में करीब 10 लाख चालीस हजार बच्चे और युवा कोरोनावायरस से संक्रमित हो चुके हैं। लेकिन अमेरिका के सत्तारुढ़ अधिकारियों की नजर में सिर्फ राजनीतिक विवाद हैं और महामारी को सही ढंग से निपटने की कोशिश नहीं हो रही है। हाल में अमेरिकी राजनेता ने फिर एक बार सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस को चीनी वायरस बताया और चीन को बदनाम करने की पूरी कोशिश की।
चीन ने विश्व में सबसे पहले महामारी के बारे में जानकारी दी, लेकिन यह इस बात का द्योतक नहीं है कि कोरोनावायरस चीन से आया था। ज्यादा से ज्यादा सूचनाओं और जांच से जाहिर है कि विश्व के अनेक देशों में विभिन्न समय पर कोरोना वायरस का पता चला था, उनमें कुछ में वायरस चीन से पहले आया था। वायरस का स्रोत बताना एक वैज्ञानिक सवाल है। वैज्ञानिकों और चिकित्सा विशेषज्ञ वैज्ञानिक अनुसंधान के बाद एक निष्कर्ष पर आ सकते हैं। कोई भी व्यक्ति को इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने और वारयस का लेबल लगाने का हक नहीं है।
अमेरिकी प्रशासन द्वारा कोरोना वायरस को नजरअंदाज कर इसका राजनीतिकरण करने की हरकत बिलकुल गलत है। सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम के सामने अमेरिकी प्रशासन की शुतुरमुर्ग मानसिकता अमेरिका में इस मानव निर्मित आपदा का स्नोबॉल ज्यादा से ज्यादा बड़ा हो रहा है।