नई दिल्ली। भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि इस बार चक्रवात की जो चेतावनियां जारी की जाएंगी उनमें बताया जाएगा कि उससे कहां-कहां और कितना प्रभाव हो सकता है ताकि संपत्ति नुकसान और वित्तीय नुकसान कम किया जा सके। मानसून से पहले और उसके बाद चक्रवात आते हैं। अक्तूबर से लेकर दिसंबर तक, खासकर बंगाल की खाड़ी में तूफान आने से पूर्वी तट पर बहुत तबाही मचती है और संपत्तियों को नुकसान पहुंचता है। महापात्र ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में ‘चक्रवात का पीछा’ विषय पर कहा कि नई प्रणाली के तहत विशेष चेतावनियां जारी की जाएंगी।
उदाहरण के तौर पर, यदि किसी जिले में 160 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से हवाएं चलने वाली हैं तो चेतावनी में बताया जाएगा कि उससे किस तरह के ढांचों को नुकसान पहुंच सकता है, इसे मानचित्रित किया जा सकता है। नई प्रणाली के तहत स्थान या जिला केंद्रित चेतावनियां जारी की जाएंगी जो स्थानीय आबादी, आधारभूत ढांचों, बस्तियों, भू-प्रयोजन और अन्य कारकों पर आधारित होगी। सभी आपदा प्रबंधन एजेंसियां संबंधित जिले के नक्शे, भूगर्भीय तथा जलविज्ञान संबंधी आंकड़ों का इस्तेमाल करेंगी। महापात्र ने कहा कि भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ, हमारा उद्देश्य संपत्तियों और आधारभूत ढांचों को होने वाले आर्थिक नुकसान एवं क्षति को कम करना है।