सेनारी कांड में पहचान परेड नहीं करवाना तत्कालीन राजद-कांग्रेस सरकार की साजिश : भाजपा

सेनारी कांड में पहचान परेड नहीं करवाना तत्कालीन राजद-कांग्रेस सरकार की साजिश : भाजपा

पटना, | बिहार के चर्चित सेनारी नरसंहार कांड में अदालत द्वारा सभी आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में रिहा करने के बाद भाजपा ने तत्कालीन राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस की सरकार पर निशाना साधा है। भाजपा का आरोप है कि तत्कालीन सरकार के इशारे पर उस समय पुलिस ने पहचान पैरेड (टीआईपी) तक नहीं करवाई थी।

भाजपा के प्रवक्ता और पूर्व विधायक मनोज शर्मा ने सेनारी नरसंहार के सभी आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में पटना उच्च न्यायालय द्वारा बरी किए जाने पर इसे तत्कालीन सरकार की साजिश बताया है।

उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार द्वारा उस समय ही इस मामले को कमजोर बना दिया था। उन्होंने कहा कि इस मामले में अनुसंधानकर्ता पुलिस ने पहचान की प्रक्रिया नहीं की, जिसका लाभ आरोपियों को मिला।

पूर्व विधायक ने कहा कि 18 मार्च 1999 में सेनारी गांव को घेर कर निर्मम तरीके से 34 लोगों की हत्या कर दी गई थी, इसके एक दिन बाद 19 मार्च को प्राथमिकी दर्ज की गई थी ।

उन्होंने कहा कि 38 आरोपियों के खिलाफ अदालत में ट्रायल प्रारंभ हुआ था।

उन्होने कहा कि इस मामले में तत्कालीन सरकार के निर्देश पर पुलिस ने टीआईपी नहीं करवाई जिसका लाभ आरोपियों को मिला।

भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि यह तत्कालीन सरकार की सोची समझी साजिश थी कि साक्ष्य के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया। उन्होंने बिहार सरकार से इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगाने की मांग की है।

उल्लेखनीय है पटना उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कुख्यात सेनारी नरसंहार मामले में 13 आरोपियों को बरी कर दिया है। आरोप है कि भाकपा (माओवादी) संगठन द्वारा जहानाबाद जिले में स्थित सेनारी गांव में 34 लोगों की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई थी। 18 मार्च, 1999 नक्सली संगठन के सदस्यों ने एक विशेष उच्च जाति के 34 लोगों की हत्या कर दी थी। कार्यकर्ताओं ने पीड़ितों को उनके घरों से बाहर निकालकर उन्हें एक मंदिर के पास खड़ा कराया और फिर धारदार हथियारों और गोलियों से उनकी बेदर्दी से हत्या कर दी।

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