करवा चौथ पर महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत करती हैं। हालांकि जिनका रिश्ता तय हो गया हो या अच्छा वर पाने के लिए भी लड़कियां करवा चौथ व्रत रखती हैं। शाम को कथा सुनने के बाद महिलाएं चंद्रमा व पिया का चेहरा देखकर व्रत खोलती हैं। शाम के समय महिलाएं व्रत कथा सुनने के बाद थाली घुमाती है। इस दिन सजाई जाने वाली पूजा की थाली का खास महत्व होता है। ऐसे में आज हम आपको यही बताएंगे कि करवाचौथ की थाली में कौन-सी चीजें रखनी जरूरी है।
करवा चौथ का शुभ मुहूर्त:
. संध्या पूजा का शुभ मुहूर्त – 4 नवंबर शाम 05:34 मिनट से शाम 06:52 मिनट
. चंद्रोदय का समय – शाम 7:57 से 8:16 मिनट तक
. पांचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि का आरंभ – 4 नवंबर 03:24
. चतुर्थी तिथि की समाप्ति – 5 नवंबर शाम 5:14 तक
सुहागनें ऐंसे सजाएं करवाचौथ की थाली…
थाली में जरूर हों ये चीजें
. करवा चौथ पूजा की थाली में छलनी, तांबे या स्टील का लोटे में पानी जरूर रखें। इसके अलावा उसमें आटे का दीपक,, दीयाबाती, फल, फूल, सिंदूर, सुखे मेवे, शहद, चंदन, कच्चा दूध, शक्कर, घी, दही, मिठाई, गंगाजल, कुमकुम, चावल, कपूर या गेहूं और हल्दी रखना भी शुभ होता है।
. थाली में गाय के गोबर से बनी गौर और सिक्के भी रखना भी सुहागन स्त्रियों के लिए शुभ माना जाता है।
. इसके अलावा थाली में जल का कलश, गोरी मां की मूर्ति बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, अठावरी (आठ पूरी और आठ पुए) रखना ना भूलें।
. पूजा के बाद पंडित जी को देने के लिए दक्षिणा या दान के लिए वस्तुएं भी होनी चाहिए।
करवाचौथ थाली घुमाते हुए गाए ये गीत
शाम को करवा चौथ की कथा सुनने के बाद महिलाएं ग्रुप बनाकर थाली घुमाती है। करवाचौथ थाली घुमाते हुए ये गीत जरूरी गाना चाहिए…
वीरा कुड़िए करवड़ा, सर्व सुहागन करवड़ा,
ए कटी न अटेरीं न, खुंब चरखड़ा फेरीं ना,
ग्वांड पैर पाईं ना, सुई च धागा फेरीं ना,
रुठड़ा मनाईं ना, सुतड़ा जगाईं ना,
बहन प्यारी वीरां, चंद चढ़े ते पानी पीना,
लै वीरां कुड़िए करवड़ा, लै सर्व सुहागिन करवड़ा।
क्यों कहा जाता है करक चतुर्थी
इस दिन अखंड सौभाग्य का वरदान पाने के लिए महिलाएं मां गौरी की पूजा भी करती हैं। मगर, इस दिन उनके पुत्र कार्तिक और गणेश जी की भी पूजा की जाती है इसलिए इसे करक चतुर्थी भी कहा जाता है।
इन बातों का रखें ध्यान
. करवा चौथ पर स्त्रियों को सोलह श्रृंगार करना शुभ माना जाता है।
. इस दिन मां पार्वती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। साथ ही गौरी पुत्र भगवान गणेश की पूजा भी जरूर करें।
. चंद्रमा के निकलने पर छलनी से या जल में चंद्रमा को देखें और जल अर्पित करें।
. व्रत के बाद सास या किसी वृद्ध महिला को श्रृंगार का सामान देकर आशीर्वाद लेना चाहिए।