नई दिल्ली: मैरिटल रेप को लेकर बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। फैसला सुनाते समय हाईकोर्ट के दोनों जजों ने इस पर अलग-अलग राय जाहिर की। जस्टिस शकधर ने कहा अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। लिहाजा, पत्नी से जबरन संबंध बनाने पर पति को सजा दी जानी चाहिए। वहीं जस्टिस सी हरिशंकर ने कहा- मैरिटल रेप को किसी कानून का उल्लंघन नहीं माना जा सकता। बेंच ने याचिका लगाने वालों से कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं।रिटल रेप, यानी पत्नी की सहमति के बिना उससे संबंध बनाने के मामले में 21 फरवरी को कोर्ट ने NGO आरआईटी फाउंडेशन, ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेंस एसोसिएशन और दो व्यक्तियों द्वारा 2015 में दायर की गई जनहित याचिकाओं पर मैराथन सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था।यह कहता है कि पति का पत्नी के साथ संबंध बनाना रेप नहीं है। याचिका में इस आधार पर अपवाद को खत्म करने की मांग की गई थी कि यह उस तथ्य के साथ भेदभाव करता है, जिसमें विवाहित महिलाओं का उनके पतियों ने यौन शोषण किया था।केंद्र ने मैरिटल रेप को अपराध मानने का विरोध किया था। 2017 में केंद्र ने कोर्ट में कहा था कि भारत आंख बंद करके पश्चिम का अनुसरण नहीं कर सकता। न ही वह मैरिटल रेप को क्राइम घोषित कर सकता है। इस बार की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि वह 2017 में केंद्र सरकार द्वारा दिए गए रुख पर विचार करेगी।