महाराष्ट्र सीओपी26 में संयुक्त राष्ट्र के ‘रेस टू रेजिलिएशन’ अभियान में शामिल

महाराष्ट्र सीओपी26 में संयुक्त राष्ट्र के ‘रेस टू रेजिलिएशन’ अभियान में शामिल

ग्लासगो। महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र के ‘रेस टू रेजिलिएंस’ अभियान में राज्य के शामिल होने की घोषणा की। पिछले साल, राज्य सरकार को चरम मौसम की घटनाओं से प्रभावित लोगों के मुआवजे के रूप में भुगतान किए गए 2 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था।

इस स्कॉटिश शहर में जलवायु परिवर्तन पर चल रहे संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (सीओपी26) के 26वें सम्मेलन के दौरान ठाकरे ने मीडिया से कहा, “भारत के सबसे औद्योगिक राज्य के रूप में महाराष्ट्र वैश्विक दक्षिण में जलवायु को लचीला बनाने में एक महत्वपूर्ण आवाज है। रेस टू रेजिलिएशन में शामिल होने का महाराष्ट्र का लक्ष्य क्षेत्रीय सरकारों के लिए एक प्रमुख उदाहरण बनना, जलवायु कार्रवाई और सतत विकास को प्रेरित करना है।”

रेस टू रेजिलिएशन क्या है?
रेस टू रेजिलिएशन संयुक्त राष्ट्र समर्थित वैश्विक अभियान है जो सबसे कमजोर, फ्रंटलाइन समुदायों को जलवायु के प्रति लचीला बनाने और अत्यधिक गर्मी, सूखा, बाढ़ व समुद्र का जलस्तर बढ़ने जैसे जलवायु परिवर्तन के भौतिक प्रभावों के अनुकूल बनने में मदद करने पर केंद्रित है। महाराष्ट्र के जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन कार्यक्रमों का उद्देश्य सरकार के हर स्तर पर लचीलापन और जलवायु कार्रवाई की संस्कृति का निर्माण करना है।

साल 2020 में शुरू हुए इस मिशन का उद्देश्य स्थानीय प्रशासनों, व्यवसायों, गैर सरकारी संगठनों और सभी आयु समूहों के नागरिकों को एक साथ लाकर राज्य में जलवायु लचीलापन हासिल करना है, ताकि सभी हितधारकों के बीच जलवायु कार्रवाई को सक्षम बनाया जा सके।

यह दुनिया में पहला कार्यक्रम है, जो स्थानीय सरकार के सभी स्तरों को जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन पर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करता है। स्थानीय निकायों को कार्यक्रम के तहत प्रगतिशील जलवायु कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया जाता है, जो प्रदर्शन प्रोत्साहन और एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होता है। अपने पहले वर्ष (2020-21) के अंत में, मिशन ने सभी स्थानीय निकायों को 70.4 लाख डॉलर (55 करोड़ रुपये) का पुरस्कार दिया। राज्य सरकार के एक बयान में कहा गया है कि ‘मांझी वसुंधरा’ अभियान ने संचालन के पहले वर्ष में 11,1450.4 लीटर पानी बचाया, जो राज्य में एक दिन की जलापूर्ति के बराबर है।

3,70,978 टन कार्बन डाईऑक्साइड (सीओ2) उत्सर्जन में कमी आई है, जो 1.7 करोड़ पूर्ण विकसित पेड़ों द्वारा सीओ2 के अवशोषण के बराबर है। जल संरक्षण उपायों में 5,774 वर्षाजल संग्रहण सुविधाओं की स्थापना, 1,455 अतिरिक्त वर्षा जल रिसाव गड्ढों का निर्माण और 775 जल निकायों की सफाई शामिल है। विद्युतीकरण की दृष्टि से महाराष्ट्र के ग्रामीण जिलों में 12.23 लाख एलईडी लाइटें और 70,000 सोलर लाइटें लगाई गईं, साथ ही 736 बायोगैस प्लांट और 701 सोलर पंप भी लगाए गए। अब तक 130 हरित भवनों को प्रमाणित किया जा चुका है, जिसमें 104 इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिग स्टेशन स्थापित किए गए हैं। राज्य भर में कुल 17,889 जागरूकता गतिविधियां आयोजित की गईं।

कार्यक्रम एक अभियान से बड़े पैमाने पर निगरानी और मूल्यांकन ढांचे के रूप में विकसित हुआ है और सरकार के सभी स्तरों पर कई राज्य और विभागीय नीतियों जैसे इलेक्ट्रिक वाहन नीति, वृक्ष अधिनियम और अन्य नीतियों के प्रभाव को लागू करने और मापने के लिए विकसित हुआ है। इसके अलावा विश्व बैंक के साथ साझेदारी में जलवायु लचीला कृषि (पीओसीआरए) पर परियोजना पूरे महाराष्ट्र में छोटे जोत वाले खेतों की जलवायु लचीलापन और लाभप्रदता बढ़ाने के लिए शुरू की गई थी। परियोजना का उद्देश्य खेत, समुदाय और फसल कटाई के बाद के कृषि बुनियादी ढांचे में निवेश का समर्थन करना और जलवायु-लचीला प्रौद्योगिकियों को अपनाना है।

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