मप्र में कोरोना खत्म!: सरकार सभी पाबंदियां हटाएगी, वैक्सीनेशन के लिए बरती जाएगी सख्ती

मप्र में कोरोना खत्म!: सरकार सभी पाबंदियां हटाएगी, वैक्सीनेशन के लिए बरती जाएगी सख्ती

भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना से संबंधित सभी पाबंदियों को पूरी तरह हटा दिया जाएगा। अब कर्फ्यू भी नहीं लगेगा। शादी-ब्याह से लेकर सामाजिक, धार्मिक आयोजनों में लोगों की संख्या को लेकर सीमा भी हटाई जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद पत्रकारों से बातचीत में यह बात कही। 

इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रालय में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के साथ कोरोना की स्थिति की समीक्षा की। बैठक में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री चौहान ने निर्देश दिए कि सभी प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया जा रहा है। कुछ बिंदुओं में सावधानी बरतते हुए कुछ नियमों के पालन आवश्यक होंगे। इसके साथ ही मध्यप्रदेश में सेकंड डोज को लेकर सख्ती बढ़ाई जा रही है। सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज अनिवार्य किए गए हैं। इसी तरह मेलों में दुकान लगाने वालों, सिनेमा देखने जाने वालों, सरकारी उचित मूल्य दुकानों से राशन लेने वालों के लिए भी दोनों डोज की अनिवार्यता के नियम बनाए गए हैं। 

बैठक में तय हुआ कि अब कर्फ्यू नहीं लगाया जाएगा। इसी तरह शादी-विवाह में मेहमानों की संख्या पर पाबंदी नहीं होगी। इससे पहले मेहमानों की अधिकतम संख्या 300 तय की गई थी। इसी तरह अन्य समारोहों में लगी पाबंदियों को भी हटाया जाएगा। इस दौरान कोरोना को ध्यान में रखते हुए एहतियात उपाय करने होंगे। मास्क, सेनिटाइजर का इस्तेमाल और सोशल डिस्टेंसिंग का नियम कायम रहेगा। 

हॉस्टल में रहने वालों के लिए दोनों डोज जरूरी
बैठक में यह भी तय हुआ कि हॉस्टल में रहने वालों के लिए दोनों डोज अनिवार्य है। इसी तरह स्कूल और शिक्षण संस्थाओं में काम करने वाले लोगों को भी वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने होंगे। सिनेमा देखने जाने के लिए, राशन लेने के लिए भी वैक्सीन अनिवार्य होगी।  

31 दिसंबर तक शत-प्रतिशत वैक्सीनेशन का लक्ष्य
राज्य सरकार ने 31 दिसंबर 2021 तक फुल वैक्सीनेशन का लक्ष्य रखा है। जिन जिलों में वैक्सीन के दूसरे डोज में कमी देखी गई है, वहां गति बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने भिंड, खरगोन और सीधी जिलों की जानकारी ली, जहां 85% से कम लोगों ने पहला डोज लगवाया है। 

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