अमित मिश्रा ’83’ के गीत ‘सख्त जान’ के साथ आगे बढ़े

अमित मिश्रा ’83’ के गीत ‘सख्त जान’ के साथ आगे बढ़े

मुंबई : क्रिकेट ड्रामा ’83’ के दमदार गीत ‘सख्त जान’ को दर्शकों से काफी सराहना मिली है, क्योंकि यह कहानी में एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय पर आता है और उस क्षण की याद दिलाता है, जब 1983 विश्व कप के विजेता दस्ते ने आत्मविश्वास पर जोर दिया था। इस गाने को ‘बुल्लेया’ मशहूर हुए पाश्र्वगायकअमित मिश्रा ने गाया है।

यह गीत कैसे एक छोटे शहर से आने वाले गायक के रूप में उनकी यात्रा का प्रतिबिंब है और बॉलीवुड में उन्हें बड़ा बना रहा है, काफी हद तक टीम इंडिया और इसके तत्कालीन कप्तान कपिल देव की तरह, जिन्होंने 1983 में क्रिकेट विश्व कप जीता था।

अमित ने बताया, “लखनऊ का लड़का होने के नाते जब मैंने छोटी उम्र में संगीत सीखना शुरू किया, तो यह एक स्वाभाविक बात थी, क्योंकि हमारा समाज और संस्कृति ऐसी ही है। जब से मैंने अपने गुरु, अपने संगीत शिक्षक से शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू किया, तो मुझसे हमेशा कहा जाता था कि मेरी आवाज अच्छी है और मुझे संगीत को गंभीरता से लेना चाहिए, लेकिन बॉलीवुड मेरे लिए कभी भी गंतव्य नहीं रहा।”

उन्होंने कहा, “हालांकि, जब मैं अंतत: मुंबई आया और काम करना शुरू किया तो मुझे अपने आप पर भरोसा था कि मैं बॉलीवुड में कोई बड़ा काम कर सकता हूं। मैंने कभी हार मानने के बारे में नहीं सोचा था। उस समय मैं आवाज का ऑडिशन देता था और एक स्टूडियो से दूसरे स्टूडियो में भागता था। मैं गीत भी गा रहा था, लेकिन उनमें से कोई भी गीत सुपरहिट या जीवन से बड़ा नहीं था .. तब तक छह साल के संघर्ष और कई बार ठुकराए जाने के बाद मेरा मानसिक स्वास्थ्य खराब हो गया था। मुझे याद है कि मैंने अपने पिता को फोन किया था। उस फोन कॉल के 22 दिन बाद मेरे पास आए एक गाने ने एक पाश्र्व गायक के रूप में मेरी जिंदगी बदल दी।”

अमित ने साझा किया, “मैंने अपने पिता को फोन किया, ‘पापा, मैं संगीत के कारण 9 से 5 अपना काम नहीं कर पा रहा हूं और मैंने अपने जीवन के छह साल दिए हैं। मेरा अंतज्र्ञान अभी भी कहता है कि मेरे पास संगीत है, लेकिन वह एक गाना मेरे पास क्यों नहीं आ रहा है, जो जादू पैदा करेगा।’ मैं फोन पर रो रहा था और अपने पिता से कह रहा था, ‘पापा, मैं एक ऐसा गाना गाना चाहता हूं, जो मेरे साथ गाए, लेकिन मुझे लगता है कि मैं खुद को खो रहा हूं .. ।”

उन्होंने आगे कहा, “मेरे पिता ने कहा, ‘पिछले छह वर्षो में तुमने अपने सपने को हासिल करने के लिए खुद से जद्दोजहद की। आज से नए सिरे से शुरुआत करो और मेरे लिए पांच साल और दो .. तुम्हें अभी हार मानने की जरूरत नहीं है। तुमने अभी तक अपने हिस्से का संघर्ष किया, अब मेरे लिए करो।’ मुझे वह शाम आज भी याद है। मैं कितना खो गया था। 22 दिनों के भीतर ‘मनमा इमोशन जागे’ गाना आया, उसके बाद ‘बुल्लेया’..बाकी इतिहास है।”

शायद इसीलिए आत्मविश्वास की शक्ति को लयात्मक रूप से उजागर करने वाला गीत ‘सख्त जान’ अमित के लिए महत्वपूर्ण था। गाने को प्रीतम ने कंपोज किया है और जयदीप साहनी ने लिखा है।

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