ग्वालियर। लाड़ली के हाथ पीले करने और बच्चों को अफसर बनाने के लिए टिक्की का ठेला लगा पिता पाई-पाई जोड़कर उनकी जिंदगी संवारने की कोशिश में लगा था। इधर मां अपनी लाडो की शादी के सपने संजो रहीं थी, लेकिन काल के क्रूर हाथों ने उनकी सारी खुशियां छीन ली।
अब उन बच्चों के सारे सपने दुखों के पहाड़ तले दबकर मिट्टी हो गए हैं। जहां उनके सिर से मां-बाप का साया छिन गया। वहीं तीन बच्चे जिदंगी और मौत से जूझ रहे हैं। तीन को अब तक यह नहीं मालूम की उनके माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं है। साथ ही भाई बहन अस्पताल में दर्द की सिसकिंया भर रहे हैं। शहर के सिंधिया नगर निवासी अवधेश प्रजापति, पत्नी रामबेटी, बेटी रेशमा, कुसमा और बेटा राजा को आग से झुलस गए। इनको इलाज के लिए जेएएच की बर्न यूनिट में भर्ती किया गया। इलाज के दौरान अवधेश और पत्नी रामबेटी ने दमतोड़ दिया। बेटी रेशमा, कुसमा और बेटा राजा बर्न यूनिट में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। डाक्टरों के मुताबिक उनकी हालत चिंताजनक बनी हुई है। बर्न यूनिट में भर्ती इन बच्चों को अब तक यह नहीं पता कि इनके सिर से माता-पिता का साया उठ चुका है। बर्न यूनिट के पलंग पर लेटी बेटी रेशमा को जब भी जलन का अहसा होता है वह मां कहकर चीखने लगती है। परिवार बच्चों की तीमारदारी में लगा है, लेकिन उनके दर्द को समझने वाले उनके माता-पिता अब उनके पास नहीं है।