जयपुर। राजस्थान विधानसभा में हाल ही पारित हुए राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 को लेकर विवाद बना हुआ है। विधेयक को लेकर विपक्ष लगातार अपनी आपत्ति जता रहा है। भाजपा विधायकों ने विधेयक के खिलाफ राज्यपाल से समक्ष एक याचिका भी पेश की है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि इससे बाल विवाह को बढ़ावा मिलेगा। भाजपा ने आरोप लगाया था कि अगर यह विधेयक कानून बन गया तो बाल विवाह को बढ़ावा दिया जाएगा। विधेयक में कम उम्र की शादियों सहित विवाहों के अनिवार्य पंजीकरण का प्रावधान है, जो राज्य में बड़े पैमाने पर है।
विधानसभा मे भी उठ चुका है हंगामा
उल्लेखनीय है कि बीजेपी विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी पूर्व में राज्यपाल से शिकायत की थी। जबकि कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा भी विधानसभा में बहस के दौरान इस विधेयक के खिलाफ आवाज उठा चुके थे। इसी तरह राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी इस संशोधन पर आपत्ति जताई थी। विवाद के चलते माना जा रहा है कि राजभवन ने इसे अभी तक आगे नहीं बढ़ाया है। फिलहाल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, “राज्यपाल न केवल विपक्ष बल्कि कार्यकर्ताओं और संवैधानिक निकायों की ओर से उठाई गई आपत्तियों के बाद विधेयक का अध्ययन कर रहे हैं।
हाईकोर्ट में भी पीएलआई है दायर
गौरतलब है कि 17 सितंबर का इस बिल का विरोध करते हुए विपक्षी दल भाजपा ने वोटिंग की मांग करते हुए सदन से वॉकआउट किया था। वहीं जोधपुर के सारथी ट्रस्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट में एक पीआईएल भी दाखिल की है। इस पीआईएल में बिल के संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया गया है। बाल विवाह उन्मूलन के लिए काम करने वाले एनजीओ का मानना है राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को गलत ढंग से समझा है। इस आदेश में कहीं भी बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन की बात नहीं कही गई है।
क्या है इस बिल में क्यों उठ रहा है विवाद
दरअसल राजस्थान विवाह (संशोधन) विधेयक, 2021 शादी का अनिवार्य रूप से पंजीकरण करवाने के उद्देश्य पर जोर देता है। लेकिन क्योंकि इस बिल में कम उम्र की शादियों के विवाह के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन के प्रावधान को भी रखा है, लिहाजा इस पर विपक्ष, कई कानूनी जानकार और संगठन विरोध जता रहे हैं। बता दें राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 विधेयक के तहत, बाल विवाह की जानकारी उनके माता-पिता/अभिभावकों को शादी के 30 दिनों के भीतर देने का प्रावधान रखा है।