पी चिदंबरम का सीतारमण पर हमला, कहा- आशंका है वित्तमंत्री बजट में सुनहरी कहानी गढऩे का प्रयास करेंगी

पी चिदंबरम का सीतारमण पर हमला, कहा- आशंका है वित्तमंत्री बजट में सुनहरी कहानी गढऩे का प्रयास करेंगी

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश किए जाने से पहले बृहस्पतिवार को कहा कि उन्हें आशंका है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लीपापोती करके सुनहरी कहानी गढऩे का प्रयास करेंगी। पूर्व वित्त मंत्री ने यह आरोप भी लगाया कि कोरोना संकट से पहले अर्थव्यवस्था में आई गिरावट के लिए सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा,  साल 2020-21 का अंत नकारात्मक वृद्धि के साथ होगा। साल की शुरुआत में लगाए गए अनुमान के अनुसार एक भी आंकड़ा हासिल नहीं हो पाएगा। राजस्व के लक्ष्य बड़े अंतर से पीछे छूट जाएंगे, पूंजी निवेश को गहरा आघात लगेगा, राजस्व घाटा 5 प्रतिशत के लगभग रहेगा और राजकोषीय घाटा बढ़कर 7 प्रतिशत से ज्यादा हो जाएगा।

चिदंबरम के मुताबिक, 2020-21 के बजट पर समय बर्बाद करने का कोई औचित्य नहीं है। यह शुरू में आपदाकारी था और वित्त वर्ष के अंत में विनाशकारी साबित होगा। उन्होंने कहा, हमें आशंका है कि लीपापोती करते हुए वित्त मंत्री 2020-21 के लिए संशोधित अनुमान प्रस्तुत करके 2021-22 के लिए सुनहरी कहानी गढऩे का प्रयास करेंगी। ऐसे में 2020-21 के लिए संशोधित अनुमान झूठे आंकड़ों का पुलिंदा होगा और 2021-22 का बजट अनुमान एक भ्रामक मायाजाल होगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने सरकार को सुझाव दिया, देर से ही सही, अर्थव्यवस्था को बड़ा वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाए। इस तरह के प्रोत्साहन से लोगों के हाथों में पैसा जाएगा और मांग बढ़ेगी। अर्थव्यवस्था में सबसे नीचे स्थित 20 से 30 प्रतिशत परिवारों के हाथों में कम से कम छह माह तक सीधे पैसा दिया जाए।

उन्होंने कहा,  सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को पुर्नजीवित करने की योजना बनाकर लागू की जाए, ताकि बंद हो चुकी यूनिट पुन: खुल सकें, खत्म हो चुकी नौकरियां फिर से शुरू हों और जिन लोगों के पास औसत शिक्षा व कौशल है, उनके लिए नई नौकरियां पैदा हो सकें। चिदंबरम ने सरकार से आग्रह किया, कर की दरों, खासकर जीएसटी एवं अन्य अप्रत्यक्ष कर की दरों (यानी पेट्रोल व डीज़ल पर कर की दरों) में कटौती की जाए। सरकारी पूंजीगत व्यय बढ़ाए जाएं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पैसा पहुंचाया जाए और उन्हें हर लोन पर जांच एजेंसियों की निगरानी के भय के बिना कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। 

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