नई दिल्ली, | महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट लिखने वाले नागपुर के समीत ठक्कर की निचली अदालत में दायर जमानत याचिका का विरोध नहीं करेगी। ठक्कर की पैरवी करने वाले वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोब्डे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ से कहा कि उनके मुवक्किल के साथ ट्वीट्स के लिए अमानवीय व्यवहार किया गया है। उन्होंने कहा कि ठक्कर को सार्वजनिक रूप से जुलूस तक ले जाया गया।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील राहुल चिटनिस ने कहा कि ठक्कर की हिरासत सोमवार को खत्म हो रही है और सरकार निचली अदालत में उसकी जमानत याचिका का विरोध नहीं करेगी, क्योंकि उससे पूछताछ पूरी हो चुकी है।
चीफ जस्टिस ने कहा, “आपको क्यों लगता है कि हम इन सब बातों को मान लेंगे? हम सिर्फ इतना ही कह रहे हैं कि आप हाईकोर्ट जाइए।”
जेठमलानी ने कहा कि ठक्कर के खिलाफ सारे आरोप बेलेबल (जमानत मिलने योग्य) हैं। उसे 24 अक्टूबर को राजकोट से गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद उसे नागपुर ले जाया गया, जहां उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया।
जेठमलानी ने कहा कि ठक्कर के खिलाफ तीन एफआईआर हैं जिसमें किसी ऑफेंस (अपराध) का जिक्र नहीं है। “हम हाईकोर्ट गए थे। लेकिन हमारे मुवक्किल को एक के बाद एक कई मामलों में गिरफ्तार कर लिया गया।”
कोर्ट ने उनसे कहा कि उन्होंने ये बात हाई कोर्ट को क्यों नहीं बताई।
जेठमलानी ने कोर्ट से कहा कि, “19 अक्टूबर को दायर की गई याचिका की सुनवाई की तारीख सोमवार के लिए तय हुई है। अगर इस बात से आपको आश्चर्य नहीं हो रहा है तो आपको कभी आश्चर्य नहीं होगा।”
इस पर बोब्डे ने कहा, “अब हमें आश्चर्य नहीं होता है।”
बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ठक्कर की जमानत याचिका स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद जेठमलानी ने भी याचिका वापस ले ली।