ऊर्जा सहयोग क्षेत्र में भारत और रूस प्राकृतिक सहयोगी

ऊर्जा सहयोग क्षेत्र में भारत और रूस प्राकृतिक सहयोगी

नई दिल्ली : मुंबई स्थित थिंक टैंक ‘द गेटवे हाऊस’ ने भारत और रूस के बीच वार्षिक सम्मलेन की 21वीं बैठक की समाप्ति के कुछ ही दिनों बाद प्रकाशित अपनी हालिया रिपोर्ट “भारत-रूस:ऊर्जा और आर्थिक सुरक्षा” में कहा है कि ऊर्जा सहयोग क्षेत्र में भारत और रूस प्राकृतिक सहयोगी हैं। भारत अपनी तेल जरूरतों का 85 प्रतिशत हिस्सा आयात करता है और रूस सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। रूस को नए बाजारों तक पहुंचने और भारत को अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करने के लिए एक विस्तारित द्विपक्षीय निवेश रणनीति के क्षेत्र में काफी काम हो रहा है। पारस्परिक रूप से लाभकारी यह सहयोग दोनों देशों के बीच जटिल भू-सामरिक वास्तविकताओं के मद्देनजर उनके सहयोगात्मक विश्वास की पुष्टि करता है।

दोनों देश आपसी बातचीत की प्रकिया से आगे जा चुके हैं और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए पहले से ही सक्रिय कदम उठा रहे हैं।

भारतीय निवेशक विशेष रूप से, पूर्वी साइबेरिया के विकास में अत्यधिक रुचि दिखा रहे हैं और वर्तमान में सबसे बड़ी हरित परियोजना वोस्तोक ऑयल में निवेश पर विचार किया जा रहा है। वोस्तोक ऑयल में 52 लाइसेंसी क्षेत्र शामिल हैं, जिसमें 13 तेल और गैस क्षेत्र शामिल हैं। इनमें वैंकोंर्सकोये, सुजुनस्कॉय ,तागुलस्कॉय, लोदोचनॉय क्षेत्र हैं। इसके अपने साथ ही इसके अपने भंडारों में अद्वितीय पयाखस्कोय और जापडनो-इरकिंसकोय क्षेत्र शामिल हैं।

कम इकाई उत्पादन लागत और दुनिया भर में अन्य प्रमुख नई तेल परियोजनाओं की तुलना में 75 प्रतिशत कम कार्बन फुटप्रिंट वोस्तोक ऑयल को दुनिया में सबसे अधिक भरोसेमंद तेल परियोजनाओं में से एक बनाते हैं। परियोजना का संसाधन आधार छह बिलियन टन तेल (44 बिलियन बैरल) से अधिक है, जिसकी विशेषता विशिष्ट रूप से कम सल्फर तत्व 0.01-0.04 प्रतिशत है। यह संसाधन आधार मध्य पूर्व या यूएस शेल संरचनाओं में सबसे बड़े तेल प्रांतों के अनुरूप है।

इसकी एक और विशेषता है कि अन्य उत्पादों के विकास के लिए इसके फीडस्टॉक की उच्च गुणवत्ता होने से अलग रिफाइनरी इकाइयों की आवश्यकता नहीं है और यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को काफी कम करता है। वर्ष 2030 में वोस्तोक तेल क्षेत्र में 10 करोड़ टन तेल के उत्पादन का अनुमान है। वोस्तोक तेल परियोजना का संचालन लाभ यूरोपीय और एशियाई बाजारों में एक साथ दो दिशाओं में अपने क्षेत्रों से कच्चे माल की आपूर्ति करने की संभावना है।

प्रमुख वैश्विक कंपनियां हाल ही में इस परियोजना में शामिल हुई थीं और वर्ष 2020 के अंत में, प्रमुख अंतरराष्ट्रीय व्यापारी ट्रैफिगुरा ने परियोजना की दस प्रतिशत हिस्सेदारी को खरीदा, और नवंबर 2021 में, विटोल के नेतृत्व में एक कंसोर्टियम ने परियोजना के पांच प्रतिशत हिस्से का अधिग्रहण किया।

प्रमुख रूसी और वैश्विक तेल क्षेत्र की अग्रणी कंपनी रोसनेफ्ट वोस्तोक तेल परियोजना को विकसित कर रही है। सबसे बड़े अमेरिकी निवेशक बैंक जेपी मॉर्गन ने वैश्विक स्तर पर 2022 में निवेश के लिए सबसे आकर्षक कंपनियों की सूची में रोसनेफ्ट को शामिल किया है दूसरे सबसे बड़े अमेरिकी निवेशक बैंक बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने 2022 में पूर्वी यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका क्षेत्र में निवेश लक्ष्य क्षेत्र में रोसनेफ्ट को अपनी वैश्विक सूची में शामिल किया है।

बैंक के विश्लेषकों का मानना है कि रोसनेफ्ट के शेयरों में 40 फीसदी की वृद्धि की क्षमता है और सबसे बड़े भंडार के साथ साथ कंपनी की सबसे कम इकाई उत्पादन लागत (लगभग 2.6 डालर प्रति बैरल) है।

कई विश्लेषकों ने रोसनेफ्ट के पुनर्मूल्यांकन में वोस्तोक तेल परियोजना की अहम भूमिका को रेखांकित किया है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच का कहना है कि अगर बाजार की स्थिति अनुकूल होती है, तो परियोजना का कुल वर्तमान मूल्य 100-120 बिलियन डालर से अधिक हो सकता है। बैंक के विश्लेषकों ने पहले ही रोसनेफ्ट के लिए इस परियोजना कोविकास कारक का दर्जा दे दिया है।

गोल्डमैन सैक ने इसे निवेशकों के लिए बहुत ही आकर्षक क्षेत्र ,मैग्नेट का करार दिया।

कंपनी का आकर्षक लाभांश प्रदान करने संबंधी कारक भी एक अन्य महत्वपूर्ण कारक है जो रोसनेफ्ट को निवेशकों के लिए इतना आकर्षक बनाता है और जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों के अनुसार 2022-2023 में यह 11-13 प्रतिशत होने की उम्मीद है। कुल मिलाकर, निवेशक समुदाय रोसनेफ्ट की विकास क्षमता की सराहना करता है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने कंपनी की जीडीआर कीमत 11.2 डालर और रेैफि सेन बैंक ने 11 डालर का अनुमान लगाया है।

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