न्यूयॉर्क, | पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने नए संस्मरण में ‘भारत की हिंसा और जातिवाद’ की उस छवि को सामने लाया है, जो पश्चिमी देशों के मन में उसके लिए हमेशा से सबसे खराब रूढ़िवादी तस्वीर की रही है। साथ ही ‘यूरोपीय मूल की मां’ सोनिया गांधी को लेकर भी बात की है जो सबसे शक्तिशाली राजनेता के रूप में उभरती हैं और अल्पसंख्यक तबके से मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करती हैं।
उन्होंने अपने नए संस्मरण ‘ए प्रॉमिस्ड लैंड’ में लिखा है, “पूरे देश में करोड़ों लोग गंदगी में झुग्गी-बस्तियों में रहते हैं। वहां का भारतीय उद्योग जगत वैसी विलासितापूर्ण जीवनशैली का आनंद लेता है, जैसे राजा और मुगल लेते थे।”
वह आगे लिखते हैं, “सार्वजनिक और निजी, दोनों ही तरह के भारतीय जीवन में हिंसा व्यापक तौर पर है।”
भारत की इस छवि को उन्होंने अपने पाठकों के लिए शानदार संवेदना के साथ पेश किया है। उन्होंने कहा है कि ये सब उन्होंने खुद नहीं देखा है, ना ही राष्ट्रपति बनने से पहले उन्होंने कभी भारत की यात्रा की है, लेकिन ‘इस देश का मेरी कल्पनाओं में हमेशा एक विशेष स्थान रहा’।
रूढ़िवादी सोच के बारे में उन्होंने लिखा, “अपनी वास्तविक आर्थिक प्रगति के बावजूद, भारत एक गरीब देश बना हुआ है। धर्म और जाति को लेकर बड़े पैमाने पर विभाजित, भ्रष्ट स्थानीय अधिकारियों और सत्ता के दलालों से बंधा हुआ और एक पाखंडी नौकरशाही वाला देश जो बदलावों के प्रतिरोधी थे।”
उन्होंने भारत-पाकिस्तान की दुश्मनी का भी जिक्र किया। इसके अलावा कहा, “सरकार में हुए बार-बार के बदलावों, राजनीतिक दलों के भीतर के तीखे झगड़ों, विभिन्न सशस्त्र अलगाववादी आंदोलनों और सभी तरह के भ्रष्टाचार के घोटाले के बाद भी कई मामलों में आधुनिक भारत को एक सफल कहानी के रूप में गिना जाता है।”
खबरों के मुताबिक ओबामा और उनकी पत्नी को अपने संस्मरण के लिए प्रकाशक से अग्रिम भुगतान के तौर पर रूप में 65 मिलियन डॉलर (4 अरब से ज्यादा रुपये) मिले हैं।
जातिवाद का जिक्र यहीं खत्म नहीं होता, उन्होंने डॉ. मनमोहन सिंह को लेकर भी इस बारे में लिखा है। उन्होंने लिखा, “एक से अधिक राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना था कि सोनिया गांधी का चुनाव सही था। एक बुजुर्ग सिख, जिनका कोई राष्ट्रीय राजनीतिक आधार नहीं था और वह उनके 40 वर्षीय बेटे राहुल के लिए कोई खतरा नहीं थे।”
इस दौरान उहोंने पूर्व प्रधानमंत्री का जिक्र सिख धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य के तौर पर किया। साथ ही उन्हें ‘ईमानदार, बुद्धिमान और शालीन व्यक्ति’ के साथ-साथ ‘सफेद दाढ़ी और एक पगड़ी वाले सिख’ के तौर पर किया जो पश्चिमी लोगों को किसी धार्मिक व्यक्ति जैसा अहसास देते हैं।
बता दें कि ‘ए प्रॉमिस्ड लैंड’ अभी खत्म नहीं हुआ है, इसमें केवल 2011 तक की बातों का समावेश किया गया है इसी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र किताब में नहीं हैं।