लंदन। ब्रिटेन समेत कई देशों में कोरोना वायरस के नया जानलेवा स्ट्रेन VUI-202012/01 मिलने के बाद खलबली मच गई है। पटरी पर लौट रही जिंदगी फिर थमने के डर से लोग बेहाल हो रहे हैं। कोई इसे खतरनाक बता रहा है तो कोई इसे कोरोना जितना ही सामान्य बता रहा है। कोरोना के इस नए स्ट्रेन के सामने आने के बाद हर किसी के मन में सवाल है कि कोरोना वायरस का यह नया प्रकार पिछले वायरस के मुकाबले में कितना अलग है और यह कितना घातक हो सकता है। और क्या कोरोना वैक्सीन नए स्ट्रेन के खिलाफ भी प्रभावी होगी? ब्रिटेन में तेजी से लोगों में फैल रहा यह वायरस पहली बार सितंबर में दक्षिण-पूर्वी इंग्लैंड में सामने आया था जिसने बहुत ही तेजी से ब्रिटेन के अन्य क्षेत्रों को अपनी चपेट में ले लिया है।
क्या है नया वायरस म्यूटेशन ?
ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने नए म्यूटेशन को एन 501वाई के रूप में पहचाना है। ब्रिटेन के स्वास्थ्य सचिव मैट हैंकॉक के मुताबिक, ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने 60 स्थानीय क्षेत्रों के 11 सौ लोगों में वायरस के म्यूटेशन का पता लगाया है। वायरस म्यूटेशन यानी बदलाव का अर्थ है वायरस की आनुवांशिक शृंखला में परिवर्तन। सार्स सीओवी-2 सिंगल आरएनए वायरस है। म्यूटेशन का अर्थ उस क्रम में बदलाव से है जिसमें मॉलीक्यूल की क्रम से व्यवस्था होती है। कांर्सोिटयम फॉरकोविड-19 जीनोमिक्स म्यूटेशन को ट्रैक कर रहा है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस बेंगलुरु में न्यूरो वॉयरोलाजी के प्रमुख रह चुके प्रो वी रवि के मुताबिक, स्पाइक प्रोटीन में परिवर्तन की संभावना है। स्पाइक प्रोटीन के एक हिस्से में अकेला न्यूक्लियोटाइड परिवर्तन हुआ है, इसलिए रोग और निदान में कोई असर नहीं होगा।
जानें खास तथ्य COVID के स्ट्रेन के बारे में
- वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस की नई किस्म में कम से कम 17 महत्वपूर्ण बदलाव हैं। सबसे महत्वपूर्ण बदलाव स्पाइक प्रोटीन में आया है।
- यह स्ट्रेन अत्यधिक तबदीली करने वाला है। यह कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले रोगी में उभरा है, जो वायरस को हराने में असमर्थ था।
- वायरस के इस प्रकार (स्ट्रेन) को VUI-202012/01 पहचान दी गई है। यह तेजी से महामारी फैला रहा है।
- दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने देश में 501.वी 2 के रूप में कोरोना के नए स्ट्रेन की पहचान की है।
- एन5 01वाई नामक म्यूटेशन स्पाइक के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से को बदल देता है।
- सबसे पहले चीन के वुहान में जो कोरोना वायरस मिले थे, वो अभी दुनिया में मिल रहे वायरस से अलग है।
- स्पाइक प्रोटीन का इस्तेमाल वायरस हमारे शरीर की कोशिकाओं में घुसने के लिए करता है। यह तेजी से वायरस के अन्य स्ट्रेन की जगह ले रहा है।
- वायरस को कोशिकाओं को संक्रमित करने की क्षमता बढ़ाने के लिए उन म्यूटेशन में से कुछ को प्रयोगशाला में पहले ही दिखाया जा चुका है।
- इस बात का कोई सबूत नहीं है कि नए स्ट्रेन संक्रमण को अधिक घातक बनाता है। विकसित टीका निश्चित रूप से इसके लिए कारगर साबित होगा।
- फ़रवरी में यूरोप में डी 614जी प्रकार का वायरस मिला था। फिलहाल पूरे विश्व में सबसे ज्यादा यही प्रकार मिलता है।
महत्वपूर्ण है स्पाइक प्रोटीन
कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन संक्रमण की प्रक्रिया को शुरू करनेके लिए मानव प्रोटीन को बांधता है। इसलिए परिवर्तन संभवत: प्रभावित कर सकते हैं, जैसे वायरस में संक्रमित करने की कितनी क्षमता है या यह गंभीर बीमारी का कारण बनता है या वैक्सीन की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया सेबच जाता है। हालांकि फिलहाल यह सिर्फ सैद्धांतिक चिंता हैं।बहुत सी कोरोना वायरस वैक्सीन स्पाइक प्रोटीन को लक्ष्य में रखते हुए एंटीबॉडी बनाती हैं। लेकिन वैक्सीन स्पाइक प्रोटीन के कई क्षेत्रों को लक्षित करती है, जबकि म्यूटेशन सिर्फ एक बिंदु परपरिवर्तित होता है। इसलिए यदि एक म्यूटेशन है तो इसका अर्थ यह नहीं हैकि वैक्सीन काम नहीं करेगी।
70 प्रतिशत ज्यादा तेजी से बढ़ाता है संक्रमण: विशेषज्ञ
वायरस का यह नया स्वरूप 70 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक बताया जा रहा है, यद्यपि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे कोई साक्ष्य नहीं हैं कि यह ज्यादा जानलेवा है या टीके को लेकर यह अलग तरह की प्रतिक्रिया देगा। इंपीरियल कॉलेज लंदन के डॉ. एरिक वोल्ज कहते हैं, यह बताना अभी वास्तव में काफी जल्दी होग, लेकिन हमने अब तक जो देखा है उसके मुताबिक यह बहुत तेजी से बढ़ रहा है, यह पहले वाले (वायरस के पूर्व स्वरूप) की तुलना में बेहद तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इस पर नजर रखना महत्वपूर्ण है। यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम में विषाणुविज्ञानी प्रोफेसर जोनाथन बाल कहते हैं, सार्वजनिक रूप से अभी जो साक्ष्य उपलब्ध हैं वह इस बात के लिए कोई ठोस राय बनाने को लेकर अपर्याप्त हैं कि क्या इस विषाणु से वास्तव में प्रसार बढ़ा है। सीएसआईआर के महानिदेशक शेखर मांडे ने कहा है कि वायरस के नए प्रकार एन 501 वाई तुलनात्मक रूप से ‘‘तेजी से फैलता’’ है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि यह ज्यादा घातक है और लोगों की यह जान ले लेगा।
भारत में अब तक नए स्ट्रोन का कोई मामला नहीं
मांडे ने कहा, ‘‘भारत में अब तक यह (वायरस का बदला स्वरूप) नहीं मिला है.’’ उन्होंने कहा कि भारत और दुनिया के वैज्ञानिक इस वायरस के नए प्रकार पर करीब नजर रखे हुए हैं। ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में स्वतंत्र तौर पर इसकी निगरानी की जा रही है। वैज्ञानिक अनुसंधान कर रहे हैं अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि आरटी-पीसीआर जांच में नए स्वरूप का पता लगाया जा सकता है, लेकिन यह देखने की जरूरत है कि रैपिड एंटीजन जांच में इसका पता लगता है या नहीं। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि अभी कोई निष्कर्ष नहीं है कि आरएटी जांच में इसका पता नहीं लग पाएगा।
सार्ससीओवी-2 वायरस जीनोम भारत में सार्वजनिक जीवन
भारतीय विज्ञानियों का कहना है कि उन्होंने इस स्ट्रेन को भारत में नहीं देखा है। फिलहाल इससे चिंतित होने की जरूरत नहीं है और यह कुछ ही देशों तक पहुंचा है। सेंटर फोर सेल्युलर एंड मॉलीक्यूलर बायोलाजी से जुड़े विज्ञानियों का विश्लेषण है कि कई हजार सार्ससीओवी-2 वायरस जीनोम भारत में सार्वजनिक जीवन में है। इस बात का कोई संकेत नहीं मिला है कि ब्रिटेन में पाए गए म्यूटेशन में एसीई-2 रिसेप्टर (मानव प्रोटीन जिसके साथ वायरस स्पाइक प्रोटीन को बांधता है) से समानता है। लैंड्स, डेनमार्क और ऑस्ट्रेलिया से आने वाले यात्रियों को 14 दिन के अनिवार्य क्वारंटाइन पर भेजा जाना चाहिए। जबकि 50 फीसद ने प्रभावित देशों से विमान सेवाओं पर रोक लगाने की बात कही है। हालांकि अभी तक केंद्र सरकार ने पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय विमानों के संचालन की अनुमति नहीं दी है। देश ने 23 देशों के साथ कोविड-19 के दौर में विमान सेवाओं का संचालन शुरू किया है।