न्यूयार्क। जल क्षेत्रों को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बीच चीन और रूस से निपटने के लिए अमेरिका ने प्रशांत महासागर और चीन सागर को आधुनिक मिसाइलों से लैस करने का फैसला किया है। दरअसल अमेरिकी नौसेना के इंडो-पैसिफिक कमांड के प्रमुख एडमिरल फिलिप एस डेविडसन की चेतावनी के बाद अमेरिकी कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को मंजूरी देने का फैसला किया है। कुछ दिन पहले ही उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस की रक्षा मामलों से संबंधित एक शक्तिशाली कमेटी के सामने चीन और रूस से बढ़ते खतरों से निपटने के लिए मिसाइल डिफेंस बेस बनाने का अनुरोध किया था।
पेंटागन ने इंडो पैसिफिक डिटरेंस एक्ट के अंतर्गत एक जमीनी एकीकृत एयर एंड मिसाइल डिफेंस सिस्टम की स्थापना के लिए लगभग 98 मिलियन डॉलर के बजट को मंजूरी देने का अनुरोध किया है। इस डिफेंस सिस्टम के जरिए अमेरिका एक साथ चीन और रूस की संयुक्त चालों पर नजर रखना चाहता है। दरअसल अमेरिका को प्रशांत महासागर के गुआम में स्थित अपने नौसैनिक अड्डे को लेकर चिंता सता रही है। अमेरिका का इरादा इस प्रपोजल के जरिए गुआम में एक एकीकृत डिफेंस सिस्टम को स्थापित करने का है। यह सिस्टम दुश्मनों की मिसाइलों को नुकसान पहुंचाने से पहले ही ट्रैक कर लेगा जिससे एंटी मिसाइल सिस्टम उसे हवा में ही मार गिराने में सक्षम होगा। इसकी रेंज लगभग 500 किलोमीटर के आसपास होगी जिससे अमेरिका को अपनी रक्षा के लिए अधिक समय मिल पाएगा।
जापानी मीडिया निक्केई एशिया की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी सेना के दस्तावेजों में बताया गया है कि संयुक्त राज्य के भविष्य के लिए सबसे बड़ा खतरा पारंपरिक रुकावटों का बढ़ना है। एक वैध और सुरक्षित रक्षा क्षमता के बिना चीन इस इलाके में अमेरिकी हितों के खिलाफ दबाव बना सकता है। इंडो-पैसिफिक का सैन्य संतुलन अधिक प्रतिकूल होने के कारण अमेरिका को इसका अतिरिक्त जोखिम उठाना पड़ सकता है। ऐसे में अमेरिका के दुश्मन एकतरफा तरीके से यथास्थिति को बदलने का प्रयास कर सकते हैं। इसके अलावा अमेरिका चीन और रूस से बढ़ते तनाव के बीच 100 बिलियन डॉलर (7259105000000 रुपये) का नया महाविनाशक हथियार खरीद रहा है।
इस मिसाइल की ताकत जापान के हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से लगभग 20 गुना ज्यादा है। यह मिसाइल अमेरिका से लॉन्च होने के बाद चीन की राजधानी पेइचिंग को पल भर में बर्बाद करने की क्षमता रखता है। अत्याधुनिक तकनीकी से बनी गाइडेड सिस्टम के कारण 10000 किलोमीटर की यात्रा करने के बावजूद यह मिसाइल पिन पॉइंट एक्यूरेसी के साथ अपने टॉरगेट को हिट करने में सक्षम है। अमेरिकी वायुसेना ने इस मिसाइल की 600 यूनिट के लिए ऑर्डर देने का प्लान किया है। पिछले साल 8 सितंबर को अमेरिकी वायुसेना ने हथियार निर्माता कंपनी कंपनी नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन को 13.3 बिलियन डॉलर का एक करार किया था जिसमें इस मिसाइल की इंजिनियरिंग और मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट बैठाने की प्रारंभिक लागत शामिल थी।
ब्लूमबर्ग और आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि अमेरिका इस घातक हथियार को बनाने के लिए लगभग 100 बिलियन डॉलर का खर्च करने वाली है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया है कि इस हथियार का निर्माण साल 2029 तक होने की संभावना है। अगर डील की इस पूरी राशि की बात की जाए तो अमेरिका 100 बिलियन डॉलर से अगले एक साल तक 12 लाख से ज्यादा प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को वेतन का भुगतान कर सकता है। इतनी राशि से तो समुद्र में समा रहे न्यूयॉर्क शहर को बचाने के लिए एक विशाल मैकेनिकल दीवार बनाई जा सकती है।