बीजिंग, | भारत के तत्वावधान में शांगहाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के सरकारी प्रमुखों (प्रधानमंत्रियों) का 19वां सम्मेलन 30 नवंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के रूप में आयोजित हुआ। भारत के मुंबई ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के पूर्व अध्यक्ष सुधींद्र कुलकर्णी ने शिन्हुआ समाचार एजेंसी को दिये विशेष साक्षात्कार में कहा कि वैश्विक महामारी और आर्थिक मंदी की स्थिति में एससीओ के सदस्य देशों को बहुपक्षवाद का पालन करते हुए आपसी आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को मजबूत करना चाहिए और अपने क्षेत्र में सामान्य विकास को सक्रिय रूप से बढ़ाना चाहिए। सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा कि महामारी का दुनिया पर बड़ा प्रभाव पड़ा है और सभी देशों को दुनिया के सामने मौजूद बड़ी समस्याओं के समाधान के लिए एकजुट होना चाहिए। आर्थिक संबंध-विच्छेद और संरक्षणवाद आगे बढ़ने का तरीका नहीं हैं। अधिक सहयोग और अधिक भागीदारी इसके समाधान ही हैं। इसी कारण से चीन, रूस, भारत और अन्य कई देशों ने बहुपक्षीय मंच एससीओ के माध्यम से भागीदारी बनाए रखने के रवैये को दोहराया और बातचीत के रास्ते पर आगे बढ़ने, सहयोग को सक्रिय रूप से बढ़ाने, मतभेदों को कम करने और क्षेत्र में समान विकास की प्राप्ति को बढ़ाने का वचन दिया।
सुधींद्र कुलकर्णी का मानना है कि एससीओ एक बहुत महत्वपूर्ण बहुपक्षीय मंच है और इसके सदस्य देशों में यूरेशिया के महत्वपूर्ण देश शामिल हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर आर्थिक सहयोग से देशों के बीच आपसी निर्भरता बढ़ी है और संरक्षणवाद का व्यवहार बेहद नासमझी भरा है।
महामारी के बाद के युग में सहयोग के प्रति सुधींद्र कुलकर्णी ने बताया कि महामारी के प्रभाव को झेलने के बाद चीन ने सबसे पहले आर्थिक बहाली प्राप्त की, जो प्रेरणादायी है। और भारत भी महामारी के खिलाफ लड़ाई के परिणामों को लगातार मजबूत कर रहा है। भारत और चीन दुनिया के केवल दो देश हैं, जिनकी आबादी एक अरब से अधिक है। बहुत बड़ी जिम्मेदारी निभाते दोनों देशों के बीच सहयोग की व्यापक गुंजाइश है।
भारत को वैक्सीन अनुसंधान और आपसी संपर्क समेत क्षेत्रों में अन्य सदस्य देशों के साथ सहयोग को बढ़ाने का सक्रिय प्रयास करना चाहिए, जो न केवल भारत के लिए लाभदायक है, बल्कि इस क्षेत्र के सभी देशों के जल्द से जल्द गर्त से बाहर निकलने में भी योगदान देगा।