जेरूसलम। भ्रष्टाचार के आरोपों को सामना कर रहे इसराईली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मुश्किलें और बढ़ने के आसार हैं। इसराईली सांसदों ने संसद भंग करने के प्रस्ताव को प्राथमिक वोट के जरिए पारित कर दिया। इस प्रस्ताव को मंजूरी के साथ ही इसराईल दो साल से भी कम समय में चौथी बार आम चुनाव के करीब पहुंच गया है। संसद भंग होने के साथ ही एक नेतन्याहू की सत्ताधारी लिकुड पार्टी और बेनी गेंतज की ब्लू एंड व्हाइट पार्टी के बीच असंतुलित गठबंधन भी लगभग खत्म हो गया है।
नैसेट (इसराईली संसद) भंग करने का प्रस्ताव विपक्ष की तरफ से पेश किया गया, जो सरकार में शामिल ब्लू एंड व्हाइट पार्टी के सांसदों का भी समर्थन मिलने के कारण 120 सदस्यों वाले सदन में 61-54 के वोट के साथ पारित हो गया। अब इस प्रस्ताव को विधान समिति के सामने रखा जाएगा जहां अगले सप्ताह तक इस पर फैसला होने की संभावना है। इस बीच गेंतज और नेतन्याहू के बीच आपसी मतभेदों को सुलझाने के लिए बातचीत जारी रखने की संभावना है।
इस प्रस्ताव पर वोटिंग रक्षा मंत्री का पद संभाल रहे बेनी गेंतज के बयान के एक दिन बाद कराई गई है, जिसमें गेंतज ने कहा था कि उनकी ब्लू एंड व्हाइट पार्टी इस प्रस्ताव के समर्थन में वोट देगी। समझौते के तहत जल्द प्रधानमंत्री पद संभालने के दावेदार गेंतज ने नेतन्याहू पर अपना राजनीतिक हित साधने के लिए लगातार बजट के मुद्दे पर जनता को मूर्ख बनाने का आरोप भी लगाया था।गेंतज ने आखिरी समय पर चुनाव से बचने का मौका भी नेतन्याहू को दिया है। उन्होंने दोनों पार्टियों के बीच हुए समझौते की शर्तों के मुताबिक दो वर्षीय बजट मंजूर करने की अपील की है। उन्होंने कहा, यदि नेतन्याहू 23 दिसंबर तक बजट को मंजूरी दे देते हैं तो सबकुछ ठीक हो जाएगा।
बता दें कि इसराईइल को कोरोना वायरस महामारी रोकने के लिए मार्च से अब तक दो बार नेशनल लॉकडाउन घोषित करना पड़ा है, जिसके चलते देश में बेरोजगारों की संख्या 20 फीसदी हो गई है। हालांकि नेतन्याहू को अब भी देश में लोकप्रिय माना जा रहा है। नेतन्याहू की लिकुड पार्टी और गेंतज की ब्लू एंड व्हाइट पार्टी ने सात महीने पहले कोरोना वायरस संकट के समय राष्ट्रीय एकता दिखाने के लिए आपस में गठबंधन कर सरकार बनाई थी। 36 मंत्रियों व 16 उपमंत्रियों की मौजूदगी के साथ यह इस्राइल के इतिहास की सबसे बड़ी सरकार थी। इससे पहले दोनों नेता लगातार प्रधानमंत्री पद के लिए आमने-सामने लड़ रहे थे। लेकिन नेतन्याहू के नवंबर, 2021 में प्रधानमंत्री पद गेंतज को सौंप देने की शर्त पर दोनों में समझौता हुआ था। हालांकि समझौते के बाद भी दोनों दल किसी ने किसी मुद्दे पर आपस में टकराते रहे हैं।