भोपाल। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार की अवैध अतिक्रमण करने वाले और माफियाओं पर नजर टेढ़ी है और यही कारण है कि राज्य के कई हिस्सों में ताकतवर लोगों की इमारतों को ढहा दिया गया है। इस मुहिम के चलते सरकार पर पक्षपात के आरोप भी लगने लगे हैं।
राज्य में उपचुनाव के नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के तेवर तल्ख हैं और वे अतिक्रमणकारियों और माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई कर सरकार के सख्त होने का संदेश देना चाह रहे हैं। उसी के तहत इंदौर, जबलपुर ग्वालियर के साथ अन्य स्थानों पर भी बुलडोजर चल रहा है।
राज्य में पहली बड़ी कार्रवाई इंदौर में गोम्मटगिरी क्षेत्र में बने कंप्यूटर बाबा के आश्रम पर हुई थी। बड़े पैमाने पर अतिक्रमण कर बनाए गए आश्रम को न केवल ढहा दिया गया था बल्कि कंप्यूटर बाबा और उनके साथियों को गिरफ्तार भी किया गया था। इसके बाद कंप्यूटर बाबा के करीबी रमेश तोमर के ठिकानों को नेस्तनाबूद किया गया। इतना ही नहीं नगर निगम के दस्ते ने खजराना क्षेत्र के चार सूचीबद्ध गुंडों के अवैध अतिक्रमण को ढहा दिया।
इसके अलावा जबलपुर में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव रहे गजेंद्र सिंह सोनकर के भान तलैया स्थित कार्यालय और आलीशान बंगले के एक हिस्से को भी नगर निगम ने तोड़ दिया। गजेंद्र उर्फ गज्जू के घर पर पुलिस ने दबिश दी थी तो जुआ पकड़ा गया था और पुलिस ने साढ़े सात लाख रुपये भी जब्त किए थे।
इसी तरह ग्वालियर में भी पुलिस प्रशासन ने कांग्रेस नेता अशोक सिंह के परिजनों द्वारा संचालित मैरिज गार्डन के एक हिस्से को गिरा दिया, जिसका कांग्रेस ने सड़क पर उतर कर विरोध किया था।
मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों गृह विभाग को निर्देश दिए थे कि प्रदेश में किसी भी प्रकार के माफिया तथा जनता के साथ धोखाधड़ी करने वाली चिटफंड कंपनियों के विरूद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। किसी को भी बख्शा न जाएं। ताकि बदमाशों के मन में खौफ होना और अपराधी तत्वों के विरूद्ध निरंतर कार्रवाई हो।
कांग्रेस ने प्रशासन द्वारा की जा रही कार्रवाइयों पर सवाल उठाए हैं। ग्वालियर की कार्रवाई पर तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के.के. मिश्रा ने तंज कसा है और ग्वालियर कलेक्टर की इस कार्रवाई को काबिल-ए-भारत रत्न करार दिया है।