महीनों से खड़ी बसों की बैटरियां हुईं खराब, टायरों की निकली हवा

महीनों से खड़ी बसों की बैटरियां हुईं खराब, टायरों की निकली हवा

भोपाल। कोरोना संक्रमण के प्रकोप के कारण बस संचालकों को काफी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। बसों को यात्री नहीं मिल रहे हैं, जिसके चलते अनेक बसों के पहिए महीनों से थमे हुए हैं। कई छोटे-छोटे बस संचालक ऐसे हैं, जो घाटे के चलते बसों को बस स्टैंड्स से नहीं निकाल पा रहे हैं। स्थिति यह है कि आठ महीने से शहर के आइएसबीटी, नादरा, हलालपुर व पुतली घर बस स्टैंड पर कई बसें खड़ी हैं, जिनका संचालन नहीं हो रहा है। इनमें से अनेक बसों की बैटरियां खराब हो गई हैं और टायरों की हवा निकल गई है। लंबे समय से बसों का संचालन नहीं होने से बसें खड़ी-खड़ी खराब हो गई हैं।

बस संचालकों का कहना है कि कोरोना काल में अधिक यात्री नहीं मिल रहे। 200 किमी दूरी पर बसों को चलाने पर प्रति बस छह से आठ हजार स्र्पये का रोजाना घाटा हो रहा है। अब बसों का संचालन करना आसान नहीं है। महज 20 फीसद यात्री मिलने से घाटे की पूर्ति नहीं हो सकती। बस संचालक मंगल सिंह ने बताया कि शासन ने बसों का साढ़े पांच महीने (अप्रैल, मई, जून, जुलाई, अगस्त और 15 दिन सितंबर माह के) टैक्स माफी करके अच्छा निर्णय लिया, लेकिन किराए में अब तक बढ़ोतरी नहीं हुई। जब तक 50 फीसद किराया नहीं बढ़ जाता, तब तक बस संचालक घाटा उठाते रहेंगे। अनेक बसें बंद होने से खराब हो गई हैं। बंद बसों को चालू करने में अच्छे-खासे पैसे खर्च होंगे। ऐसे में बस ऑपरेटर किराया बढ़ने का ही इंतजार कर रहे हैं।

वहीं एक निजी ट्रेवल्स एजेंसी के संचालक चरणजीत गुलाटी ने बताया कि 18 सितंबर को किराया बोर्ड की बैठक हुई। 50 से 60 फीसद यात्री बसों का किराया बढ़ाने का प्रस्ताव शासन को दिया गया, पर अब तक शासन ने किराया नहीं बढ़ाया है। इससे राजधानी सहित प्रदेश भर में सभी 35 हजार यात्री बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है। टैक्स माफी के बाद अब बस संचालकों को किराया बढ़ने का इंतजार है।

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