मप्र में मंत्रिमंडल विस्तार पर सबकी नजर, गोविंद सिंह और तुलसी सिलावट का मंत्री बनना तय

मप्र में मंत्रिमंडल विस्तार पर सबकी नजर, गोविंद सिंह और तुलसी सिलावट का मंत्री बनना तय

भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा के उप चुनाव के नतीजे आने के बाद अब मंत्रिमंडल विस्तार पर सबकी नजर है। वर्तमान में कुल छह मंत्रियों के पद रिक्त हैं और दावेदार कई हैं। कुल मिलाकर कहानी एक अनार सौ बीमार जैसी है।

राज्य के 28 विधानसभा क्षेत्रों में उप-चुनाव में भाजपा ने 19 क्षेत्रों में जीत दर्ज की है। इस चुनाव में तीन मंत्रियों एदल सिंह कंसाना, गिरराज दंडौतिया और इमरती देवी को हार का सामना करना पड़ा है। वहीं दो मंत्री – गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट ने छह माह की अवधि बगैर विधायक के पूरा होने पर इस्तीफा दे दिया था। इस वजह से यह दोनों पद भी रिक्त हैं। इसके अलावा मंत्रिमंडल की कुल क्षमता से एक पद पहले से रिक्त है। इस तरह देखें तो छह नए मंत्री बनाए जाने हैं।

राज्य में विधायकों की संख्या 230 है और इस आधार पर तय दिशानिर्देशों के मुताबिक 15 प्रतिशत सदस्य ही मंत्री बनाए जा सकते हैं। इस वजह से राज्य में अधिकतम 34 मंत्री हो सकते हैं। वर्तमान में 28 मंत्री हैं और 6 नए सदस्य मंत्री बनाए जाने हैं, इसके लिए भाजपा में कई बड़े दावेदार हैं। इनमें मुख्य तौर पर विंध्य क्षेत्र के राजेंद्र शुक्ला, गिरीश गौतम, केदार शुक्ला तो वहीं महाकौशल से अजय विश्नोई, गौरीशंकर बिसेन, संजय पाठक, जालम सिंह पटेल, बुंदेलखंड से हरिशंकर खटीक, मध्य क्षेत्र से रामपाल सिंह, सुरेंद्र पटवा और निमाड़ मालवा से रमेश मेंदोला, सुदर्शन गुप्ता जैसे कई नाम हैं जो मंत्री पद के दावेदार हैं।

सूत्रों की माने तो इस्तीफा देने वाले दो मंत्री जो विधानसभा का उपचुनाव जीत गए हैं गोविंद सिंह राजपूत और तुलसीराम सिलावट का मंत्री बनना तय है क्योंकि यह दोनों ही पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कोटे से आते हैं। इस तरह देखें तो सिर्फ चार सदस्य ही नए मंत्री के तौर पर शामिल किए जा सकेंगे। इन स्थितियों में दावेदारों में से सक्षम का चयन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए आसान नहीं है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उपचुनाव हो गए हैं और अनुभवी नेता मंत्रिमंडल में जगह पाना चाहते हैं, वहीं मंत्रिमंडल का विस्तार भी जल्दी होना है। इन स्थितियों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ संगठन पर भी इस बात का दबाव रहेगा कि वह उन नेताओं को मंत्री पद से नवाजे जो बीते सात माह से अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।

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