लखनऊ, | उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गिद्ध संरक्षण केंद्र पर्यावरण की शुद्धि का माध्यम बनेगा। साथ ही यह उस क्षेत्र में ईको टूरिज्म की संभावनाओं को भी बढ़ाएगा। मुख्यमंत्री ने बुधवार को अपने सरकारी आवास पर ‘वन्य प्राणी सप्ताह’ के समापन अवसर पर वर्चुअल माध्यम से महराजगंज के जटायु (गिद्ध) संरक्षण केंद्र का शिलान्यास किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार वन्य प्राणियों के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए लगातार काम कर रही है। गिद्घ संरक्षण केंद्र पर्यावरण की शुद्धि का माध्यम बनेगा।
योगी ने कहा कि आबादी बढ़ने के साथ ही जीवों का संरक्षण आवश्यक है। अगर एक भी कड़ी कमजोर होती है, तो ईको सिस्टम भी कमजोर होता है। गिद्ध पर्यावरण की शुद्धि करता है। जल की शुद्धि में जिस तरह से डॉल्फिन का विशेष महत्व है, उसी तरह थल की शुद्धि में गिद्ध का स्थान है।
उन्होंने कहा कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए इस वर्ष रिकार्ड 25 करोड़ पौधे लगाए गए हैं। इससे प्रदेश का वनाच्छादन बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत साढ़े तीन वर्षो में सरकार के प्रयासों से टाइगर, गेंडा और हाथी की संख्या में वृद्धि हुई है। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने वन्यप्राणी सप्ताह के दौरान आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को ऑनलाइन पुरस्कार वितरित किए। उनसे संवाद भी किया।
वन मंत्री दारा सिंह चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश देश का रोल मॉडल बन रहा है। सबमिशन ऑन एग्रोफरेस्ट्री, नमामि गंगे, राष्ट्रीय बांस मिशन सहित विभिन्न केंद्र पोषित योजनाओं के तहत किसानों को आर्थिक राशि दी जा रही है। ग्राम सभा स्तर पर जैव विविधता प्रबंधन समितियों का गठन और जैव विविधता रजिस्टर तैयार किए जा रहे हैं। विगत तीन साल में वनावरण में 127 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। बाघों की संख्या 117 से बढ़कर 173 हो गई है। राष्ट्रीय धरोहर हाथी की संख्या भी बढ़कर 320 हो गई है।
इस अवसर पर गिद्धों के संरक्षण पर शोध पुस्तक का विमोचन किया गया। मुख्यमंत्री ने पीलीभीत टाइगर रिजर्व क्षेत्र के लिए तैयार की गई पुस्तक और ‘वाल्मीकि की पर्यावरण चेतना’ पुस्तक का विमोचन किया।