टीम एब्सल्यूट मुंगावली। मुंगावली में भाजपा की तरफ से बृजेंद्र सिंह यादव प्रत्याशी हैं, जबकि कांग्रेस ने कन्हई राम लोधी को लोधी को टिकट दिया है। लोधी व यादव दोनों ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास वफादारों में शामिल रहे। इसीलिए बृजेंद्र सिंह के सिंधिया के साथ भाजपा में जाने के बाद 2 जुलाई को लोधी भी भाजपा में शामिल हो गए थे, लेकिन कुछ समय बाद ही वापस लौट आए।
कमलनाथ ने उन्हें टिकट दे दिया, और अब वे चुनाव में मजबूती से खड़े हैं। इसी साल जनवरी में मुंगावली के मुख्य बाजार में स्व. माधवराव सिंधिया की प्रतिमा स्थापित हुई है। ज्योतिरादित्य के साथ गोविंद सिंह राजपूत और महेंद्र सिंह सिसोदिया भी इसमें पहुंचे थे। यहां 2013 में महेंद्र सिंह कालूखेड़ा जीते थे। सितंबर 2017 में कालूखेड़ा के निधन के बाद फरवरी 2018 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस से बृजेंद्र सिंह यादव ने जीत हासिल की और 2018 के विधानसभा चुनाव में वे दोबारा जीते।
सिंधिया-शिवराज की हो चुकी है सभा : मुंगावली के 63 साल के इतिहास में पहली बार ही ऐसा हुआ था जब कांग्रेस लगातार तीन चुनाव (एक उपचुनाव मिलाकर) जीती। व्यापारी कहते हैं कि इसीलिए प्रतिमा स्थापित हुई, लेकिन फल विक्रेता अब थोड़ा खफा हैं। इसी प्रतिमा की वजह से उन्हें हटाने के प्रयास हुए। फल बेचने वाले रईस तो काफी नाराज हैं। इधर कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और सिंधिया की पिपरई में सभा हुई, लेकिन उसकी गरमी अब कम हो गई है। मुंगावली में बाजार हमेशा चुनावी चर्चा का केंद्र रहा है, लेकिन अभी कोई हलचल नहीं है। सभी को यादव वोटों के रुख का इंतजार है, क्योंकि इनकी संख्या बाकी किसी भी वर्ग से काफी ज्यादा है। 30 हजार लोधी मतदाता हैं, जो यादव समाज के बाद सबसे ज्यादा हैं।
चर्चा में सवाल- क्या लगातार तीन चुनाव में जीत का रिकॉर्ड बनेगा?
1957 से लेकर अभी तक के चुनावी इतिहास में सिर्फ 1980-85 में ही ऐसा हुआ जब गजराम सिंह लगातार दो बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते। दो साल पहले 2018 में यह इतिहास उपचुनाव के साथ दोहराया गया, जब बृजेंद्र सिंह यादव पहले उपचुनाव फिर विधानसभा का मुख्य चुनाव जीते। अब बृजेंद्र सिंह फिर उपचुनाव में हैं। लोगों के बीच यही सवाल चर्चा का विषय है कि मुंगावली के इतिहास में क्या पहली बार होगा कि कोई एक ही व्यक्ति लगातार तीसरी बार जीतेगा?
