साल के पहले दिन शहरी गरीबों के लिए नई तकनीक आधारित आवासीय योजना की हुई शुरुआत

साल के पहले दिन शहरी गरीबों के लिए नई तकनीक आधारित आवासीय योजना की हुई शुरुआत

लखनऊ, | उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य के हर जरूरतमंद परिवार का ‘अपना घर’ का सपना साकार करने के लिए सरकार सतत प्रयासरत है। भविष्य की जरूरतों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आज नवीनतम तकनीक आधारित ‘लाइट हाउस प्रोजेक्ट’ की आधारशिला रखी गई, यह तकनीक समय की मांग है। मुख्यमंत्री योगी, शुक्रवार को प्रधानमंत्री शहरी आवास योजनान्तर्गत राजधानी लखनऊ के अवध विहार योजना में शहरी गरीबों के लिएोलाइट हाउस प्रोजेक्ट’ के शिलान्यास कार्यक्रम में उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में अब तक 17 लाख 58 हजार परिवारों के ‘अपना घर’ का सपना साकार हुआ है, इनमें करीब 10.58 लाख आवास निमार्णाधीन हैं, जबकि शेष पूर्ण हो चुके हैं। यह क्रम सतत जारी रहेगा।

लाइट हाउस प्रोजेक्ट के शिलान्यास कार्यक्रम के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम आवास योजना (शहरी) पुरस्कार 2019 की घोषणा की। योजना के सर्वश्रेष्ठ क्रियान्वयन के लिए उत्तर प्रदेश को पहला पुरस्कार दिया गया। यही नहीं, उत्तर प्रदेश के मीरजापुर नगर पालिका को देश की सर्वश्रेष्ठ नगर पालिका का पुरस्कार भी दिया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के छह राज्यों में ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज- इंडिया (जीएचटीसी- इंडिया) के तहत हल्के मकान से जुड़ी परियोजनाओं (लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स) की शुक्रवार को आधारशिला रखी। एलएचपी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश का चयन मॉडल के रूप में किया गया है। इसके तहत, राजधानी लखनऊ के अवध बिहार योजना में 131 करोड़ की लागत से लाइट हाउस प्रोजेक्ट (एलएचपी) का निर्माण किया जाना है। इन भवनों के निर्माण में ‘स्टे इन प्लेस फॉर्म वर्क’ तकनीक का प्रयोग किया गया है। यह भवन अधिक टिकाऊ, पर्यावरण अनुकूल और आपदा रोधी होंगे। योजनान्तर्गत प्रायोगिक तौर पर यूपी में करीब 1040 लोगों के लिए भवन बनने प्रस्तावित हैं। प्रत्येक आवास का कारपेट एरिया 34.5 वर्ग मीटर होगा। एक वर्ष के भीतर यह परियोजना पूरी हो जाएगी।

लखनऊ (उत्तर प्रदेश) के अलावा, एलएचपी का निर्माण इंदौर (मध्य प्रदेश), राजकोट (गुजरात), चेन्नई (तमिलनाडु), रांची (झारखंड), अगरतला (त्रिपुरा) और लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में किया जा रहा है। इसमें प्रत्येक स्थान पर संबद्ध बुनियादी ढांचा सुविधाओं के साथ लगभग 1,000 मकानों को शामिल किया गया है। ये परियोजनाएं पारंपरिक तौर पर ईंट एंव कंक्रीट वाले निर्माण के मुकाबले कहीं तेजी से यानी महज बारह महीने के पूरी हो जाएंगी। हल्के मकानों की यह परियोजनाएं कई प्रकार की तकनीकों का प्रदर्शन करती हैं।

वर्चुअल विधि से हुए इस कार्यक्रम में केंद्रीय आवास एंव शहरी कार्य मंत्री (स्वंतत्र प्रभार) के अलावा त्रिपुरा, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री गणों की उपस्थिति रही। इस दौरान अफोर्डेबल सस्टेनेबल हाउसिंग एक्सेलेरेटर्स- इंडिया (एएसएचए- इंडिया) के तहत विजेताओं की घोषणा भी की गई। साथ ही, प्रधानमंत्री एनएवीएआरआईटीआईएच (न्यू, अफोर्डेबल, वैलिडेटेड, रिसर्च इनोवेशन टेक्नोलॉजिज फॉर इंडियन हाउसिंग) नाम से नवोन्मेषी निर्माण प्रौद्योगिकी पर एक सर्टिफिकेट कोर्स और जीएचटीसी- इंडिया के जरिये पहचान किए गए 54 नवोन्मेषी आवास निर्माण प्रौद्योगिकी के एक संग्रह का विमोचन भी हुआ।

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