भोपाल, | मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव में कई स्थानों पर मुकाबले त्रिकोणीय होने के आसार बनने लगे हैं क्योंकि दो प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा के अलावा बसपा ने भी सभी 28 स्थानों पर अपने उम्मीदवार तय कर दिए हैं। बसपा की उपस्थिति से नतीजों में बड़ेे उलटफेर की संभावनाओं को नकारा नहीं जा रहा है।
राज्य में कुल 28 विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव हो रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा 16 सीट ग्वालियर-चंबल इलाके से आती हैं और यह इलाका बसपा का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है, इस इलाके की लगभग 8 से 10 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां बसपा का वोट बैंक है।
ग्वालियर-चंबल इलाके में बसपा के प्रभाव को इसी से समझा जा सकता है कि नौ विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां बसपा के उम्मीदवार पहले जीत चुके हैं। इनमें मेहगांव, करैरा, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह, भांडेर व अशोकनगर शामिल है। पिछले विधानसभा क्षेत्रों में भी इन इलाकों में बसपा को काफी वोट मिले थे।
पिछले चुनावों के नतीजों के आधार पर यह माना जा रहा है कि इस बार के उप-चुनाव में भी बसपा भले ही जीत हासिल न कर सके, मगर नतीजों को प्रभावित करने वाला दल तो साबित हो ही सकता है।
राजनीति के जानकार अरविंद मिश्रा का मानना है कि उप-चुनाव में मतदाता सत्ताधारी दल के समर्थन या विरोध में मतदान करते हैं, इसलिए संभावना इस बात की है कि मतदाता अपना वोट भाजपा या कांग्रेस को ही देंगे, लेकिन यह बात भी सही है कि ग्वालियर-चंबल इलाके में बसपा का प्रभाव है, लिहाजा वह चुनाव भले ही न जीते मगर वोट काटने वाला दल तो साबित हो सकता है। इसके साथ बसपा हार-जीत के अंतर को भी कम करेगी।
राज्य में इस बार के उप-चुनाव में बसपा ने पहली बार उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, इसके चलते राज्य में उप-चुनाव के त्रिकोणीय होने के आसार बने हुए है। एक तरफ जहां बसपा छोड़ने वाले नेताओं को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है, तो दूसरी ओर कांग्रेस व भाजपा छोड़ने वाले कई नेता बसपा के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं।