नई दिल्ली, | भारतीय जनता पार्टी ने यमुना में प्रदूषण के लिए दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। कहा है कि मोदी सरकार ने यमुना की सफाई के लिए दिल्ली सरकार को चार सौ करोड़ रुपये दिए थे। आखिर इतनी बड़ी धनराशि कहां गई? दिल्ली विधानसभा में भाजपा के नेता प्रतिपक्ष रामवीर विधूड़ी ने कहा, “यमुना की सफाई के लिए मोदी सरकार ने दिल्ली सरकार को प्लांट नहीं लगा।”
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दिल्ली जल बोर्ड के निजीकरण का मुद्दा उठाया। कहा कि, “भाजपा दिल्ली जल बोर्ड का निजीकरण नहीं होने देगी। दिल्ली के लोगों को साफ, स्वच्छ पानी देना केजरीवाल सरकार की जि़म्मेदारी है और हम उन्हें अपनी इस जि़म्मेदारी से भागने नहीं देंगे।”
उन्होंने कहा कि, “दिल्ली के लोगों को दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली में हो रहे जल प्रदूषण की सच्चाई का पता चलना चाहिए। यमुना कार्य योजना के अनुसार 14 नए एसटीपी स्थापित किए जाने थे, लेकिन आज तक वर्तमान दिल्ली सरकार द्वारा एक भी सेट नहीं किया गया है। रिकॉर्ड के अनुसार, दिल्ली में 597 एमजीडी क्षमता के 20 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट एसटीपी हैं और केवल 520 एमजीडी का इलाज किया जा रहा है, जबकि 750 एमजीडी कचरा दिल्ली में उत्पादित किया जा रहा है, बाकी लगभग 230 एमजीडी को यमुना नदी में डाला जा रहा है, जो जल प्रदूषण पैदा कर रहा है ।”
आदेश गुप्ता ने कहा कि, “दिल्ली सरकार की ओर से नए सीवेज कनेक्शनों पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद आवंटित किए गए हैं। अभी कई कनेक्शन नहीं दिए गए हैं। जबकि दिल्ली जल बोर्ड का बजट 7268.71 करोड़ है। 14 नए एसटीपी के लिए 4206 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।”