तिरुवनंतपुरम, | केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ केरल सरकार के प्रस्ताव को समर्थन देने पर विवादों में घिरे भाजपा विधायक ओ. राजगोपाल ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में स्पीकर ने प्रस्ताव के समर्थन और विरोध के बारे में ठीक से पूछा ही नहीं था। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रेल, रक्षा और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री रहे राजगोपाल ने कहा कि उन्होंने सदन के भीतर प्रस्ताव का जोरदार विरोध किया था और अध्यक्ष ने विशेष रूप से यह नहीं पूछा था कि कौन इसका समर्थन कर रहा है और कौन इसका विरोध।
हालांकि, दिन में इससे पहले विधानसभा के मीडिया रूम में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने सदन में सर्वसम्मति के कारण कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव का समर्थन किया था।
उनके इस रुख से पार्टी और उसके समर्थकों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है, हालांकि पार्टी के नेताओं ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि वे इस बारे में राजगोपाल से बातचीत करने के बाद ही कुछ कह पाएंगे।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने थोडुपुझा में मीडियाकर्मियोंसे कहा कि उन्हें राजगोपाल के स्टैंड के बारे में पता नहीं है और हम इसका अध्ययन करने के बाद वापस इस बारे में बताएंगे।
भाजपा के प्रदेश महासचिव एम.टी. रमेश ने कहा कि उन्होंने अनुभवी नेता से प्रस्ताव का समर्थन करने की उम्मीद नहीं की थी, और उनसे बातचीत के बाद वह इस बारे में जवाब देंगे।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, “भाजपा राज्य में अपना स्थान बनाने के लिए संघर्ष कर रही है। हालांकि इस एक बयान से राजगोपाल ने हमारी कोशिशों पर पानी फेर दिया है।”
राजगोपाल के स्पष्टीकरण के बाद भी, पार्टी में कई नेता और कार्यकर्ता भी उनके तर्क से संतुष्ट नहीं दिख रहे हैं।
आरएसएस-भाजपा के एक कर्मठ कार्यकर्ता रमेश मेनन ने बताया, “राजगोपालजी एक वरिष्ठ नेता हैं। केंद्र सरकार के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा लाए गए प्रस्ताव को समर्थन देकर वो राज्य की जनता को क्या संदेश देना चाहते हैं?”