लखनऊ: उत्तर प्रदेश में निराश्रित संवासियों की सुविधा बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में नए बालगृह बनाने का निर्णय लिया है। महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से महिला शरणालय और बालगृहों की स्थापना का कार्य तेजी से किया जा रहा है। संवासियों के जीवन सुधार के लिए योगी सरकार ने कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से नए बालगृहों और शरणालयों को बनाने के लिए शासन को प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था जिसे हरी झंडी मिल गयी है। प्रदेश के विभिन्न जनपदों में सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा तिरस्कृत, आश्रयहीन, बेसहारा बच्चों और महिलाओं के लिए बालगृह व महिला शरणालयों का संचालन किया जाता है।
यूपी में कई राजकीय बालक बालगृह, राजकीय बालिका बालगृह, दत्तक गृह इकाई, शिशुगृह व महिला शरणालय हैं जिनमें निराश्रित महिलाओं व बच्चों को आश्रय दिया जाता है।
यूपी में कुल 26 राजकीय संप्रेक्षण गृह और 22 राजकीय बालगृह हैं। राजकीय बालगृहों में आठ बालक, चार बालिका, पांच शिशुगृह और पांच विशेषज्ञ दत्तक इकाई हैं। इसके साथ ही एनजीओ द्वारा संचालित कुल 48 बालगृह प्रदेश में हैं। जिनमें नौ बालक, नौ बालिका, तीन शिशु, सात विशेषज्ञ दत्तक गृहण इकाई व 20 खुले आश्रय गृह हैं। यूपी के इन बालगृहों में लगभग 6,206 संवासी आश्रित हैं।
प्रदेश के विभिन्न जनपदों में 21 महिला एवं बाल आश्रयगृहों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। जिसमें लखनऊ, अमेठी, गोरखुपर, बनारस, अयोध्या जनपदों में पांच एकीकृत गृहों का निर्माण किया जाएगा। इन नए 21 आश्रयगृहों में शिशुगृह, बालक-बालिका बालगृह व महिला शरणालयों का निर्माण कार्य चल रहा है। इसके अलावा बनारस में दो नए बालगृहों संग थीम पार्क का निर्माण किया जाएगा जिसमें एक बालिका बालगृह, एक शिशुगृह और एक थीम पार्क को बनाया जाएगा। वहीं नोएडा में मातृ एवं तिरस्कृत संवासियों की सुविधाओं में इजाफा करने के लिए नवीन बालगृहों के निर्माण के साथ उनमें डिजिटल शिक्षा के क्षेत्र में भी योगी सरकार तेजी से काम कर रही है। मिशन शक्ति के तहत जहां एक ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महिलाओं व बच्चों की आवाज को बुलंद कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर महिलाओं व बच्चों के बहुमुखी विकास के लिए सुविधाओं में इजाफा करते हुए यूपी में नई योजनाओं का विस्तार कर रहें हैं।
महिला एवं बाल विभाग के डिप्टी डायरेक्टर बृजेन्द्र सिंह निरंजन ने बताया कि यूपी में निराश्रित, तिरस्कृत बच्चों को बेहतर सुविधाओं संग आश्रय दिलाने की जिम्मेदारी हम लोगों की हैं। प्रदेश के बालगृहों में क्षमता से अधिक संवासियों के आश्रय की समस्या होती थी लेकिन नवीन बालगृहों के निर्माण से क्षमता से जुड़ी समस्या का निवारण हो जाएगा।