बेंगलुरु, | भारतीय महिला हॉकी टीम की डिफेंडर रश्मिता मिंज ने 2016 में राष्ट्रीय टीम के लिए पदार्पण किया था और तब से अब तक वह केवल 13 ही मैच खेल पाई हैं। उनका मानना है कि अगर उन्हें भारतीय टीम में निरंतर अपनी जगह बनाए रखनी है तो उन्हें अपने खेल में शीर्ष पर रहना होगा और खुद में सुधार करना जारी रखना होगा। रश्मिता ने मेलबर्न में आस्ट्रेलिया के खिलाफ 18 साल की उम्र में कोच नील हॉगुड के मार्गदर्शन में अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत की थी। उस दौरे पर वह केवल तीन ही मैच खेल पाई थीं। उसके बाद से उन्होंने अब तक देश के लिए केवल दो ही टूर्नामेंट खेले हैं। हालांकि उनका मानना है कि करियर के अगले चरण को फिर से शुरू करने के लिए वह तैयार हैं।
रश्मिता ने कहा, “मैं बहुत ही कम उम्र में 2016 में सीनियर टीम में आई थी। तब से मेरे लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण ही रहा है। लेकिन मैंने यह सुनिश्चित किया है कि मैंने अपना काम जारी रखा है और सभी राष्ट्रीय शिविरों में अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है। यह मुश्किल हो गया है, क्योंकि जब आपका चयन नहीं होता है, तो इसमें संदेह पैदा होता है।”
उन्होंने कहा कि टीम में उनकी भूमिका के बारे में मुख्य कोच सोजर्ड मेरीने के साथ उनकी बातचीत ने उन्हें वास्तव में बेहतर बनाने में मदद की है, क्योंकि उन्हें अब पता चला है कि उन्हें और अधिक मेहनत करने की जरूरत है।
डिफेंडर ने कहा, “मैं समझती हूं कि एक अच्छी डिफेंस इकाई होने से टीम को कई तरह से मदद मिल सकती है, खासकर अधिक आक्रामक मौके बनाने में, जो बाद में गोल करने के मौके देती है। इसलिए, मेरे लिए एक डिफेंडर के रूप में यह जरूरी है कि मैं अपने खेल के शीर्ष पर रहूं और सीखना जारी रखूं।”