नई दिल्ली, | पूर्व राष्ट्रीय भाला फेंक कोच काशीनाथ नाइक का कहना है कि कोच उवे हॉन और भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) के बीच विवाद का असर टोक्यो ओलंपिक की तैयारी कर रहे एथलीटों पर पड़ेगा। राष्ट्रीय टीम के 2013 से 2018 तक कोच रहे नाइक ने कहा, “ओलंपिक खेलों को अब 40 दिन से भी कम रह गए हैं और हॉन तथा भारत के शीर्ष भाला फेंक एथलीट एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। यह इस बात का संकेत है कि पटियाला में राष्ट्रीय शिविर में सब ठीक नहीं है। इस विवाद से एथलीटों का ध्यान भटक सकता है और उनके प्रदर्शन पर भी प्रभाव डाल सकता है।”
नवंबर 2017 से हॉन राष्ट्रीय शिविर के साथ हैं और उन्हें महीने में करीब पांच लाख 90 हजार का वेतन मिलता है। उनका अनुबंध भी इस साल सितंबर तक बढ़ाया गया है।
हॉन ने मंगलवार को आरोप लगाया था कि सही दौरे नहीं मिलने और अच्छी फूड सप्लीमेंट नहीं मिलने के कारण ओलंपिक की तैयारी सही दिशा में नहीं चल रही है।
हॉन ने कहा था, “एथलीटों को टोक्यो ओलंपिक की तैयारियों के लिए उच्च स्तरीय विदेशी दौरे नहीं मिले।”
इसके एक दिन बाद भारतीय की अग्रणी महिला भाला फेंक एथलीट अनु रानी और शिवपाल सिंह इस विवाद में कूद पड़े और इन्होंने कहा कि हॉन विदेशी दौरे पर जाने के लिए ज्यादा इच्छुक हैं क्योंकि उन्होंने अन्य देशों के एथलीटों को ट्रेनिंग दी है और वह भारतीयों को नजरअंदाज करते हैं।
हॉन ने इस बारे में संदेश भेज कहा, “मैं एएफआई और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) की इजाजत के बिना कुछ नहीं सक सकता। मैं अपनी नौैकरी खतरे में नहीं डाल सकता।”
एएफआई के अध्यक्ष एदिले सुमारीवाला ने फोन का जवाब नहीं दिया जबकि साई ने कहा कि हॉन सिंह और राजेंदर को ट्रेनिंग देते हैं और अनु को ट्रेनिंग नहीं देते।
साई ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा, “फरवरी से अनु हॉन के साथ ट्रेनिंग नहीं कर रही हैं।”