‘कड़ी मेहनत करो और मजे करो, कभी ना कभी मंजिल जरूर मिलेगी’

‘कड़ी मेहनत करो और मजे करो, कभी ना कभी मंजिल जरूर मिलेगी’

टोक्यो, | शीर्ष भारतीय महिला गोल्फर अदिति अशोक, जो शनिवार को टोक्यो ओलंपिक में बेहद करीब आकर कांस्य पदक से चूक गईं। हालांकि बावजूद इसके अदिति ने इतिहास रच दिया। वह देश की पहली महिला खिलाड़ी बन गईं, जिन्होंने ओलंपिक में इतनी दूर तक का सफर तय किया हैा। पांच साल की उम्र में गोल्फ क्लब पकड़ने वाली अदिति ने कभी नहीं सोचा था कि यह एक दिन उसे सबसे बड़े खेल मंच पर ले जाएगा। बेंगलुरु में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी, अदिति को जब पांच साल की उम्र में कर्नाटक गोल्फ एसोसिएशन कोर्स में ले जाया गया तब वह इस खेल के प्रति आकर्षित हुईं ।

फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल में अपनी पढ़ाई और गोल्फ के लिए अपने जुनून को देखते हुए, 23 वर्षीय ने पाठ्यक्रम में नियमित रूप से प्रशिक्षण शुरू किया और स्थानीय टूर्नामेंट खेला।

अदिति ने 2011 में 13 साल की उम्र में अपनी पहली राज्य स्तरीय ट्रॉफी- कर्नाटक जूनियर और दक्षिण भारतीय जूनियर चैंपियनशिप जीती। जल्द ही उन्होंने राष्ट्रीय एमेच्योर खिताब जीता।

शनिवार को, अदिति 17वें होल तक पोडियम फिनिश के लिए दौड़ में थी, लेकिन कासुमीगासेकी कंट्री क्लब में अंतत: चौथे स्थान पर रहते हुए मेडल ब्रैकेट से बाहर हो गई।

वह 2016 के रियो ओलंपिक में 41वें स्थान पर रही थीं।

23 वर्षीय अदिति ने आकांक्षी गोल्फरों को संदेश देने के बारे में कहा, जब मैंने गोल्फ शुरू किया तो मैंने कभी ओलंपिक में होने या प्रतिस्पर्धा करने का सपना नहीं देखा था। गोल्फ एक ओलंपिक खेल भी नहीं था। इसलिए कभी-कभी आप सिर्फ गोल्फ क्लब उठाओ और कड़ी मेहनत करो और हर दिन मजे करो। कभी ना कभी तुम अपनी मंजिल तक जरूर पहुंचोगे।

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