नई दिल्ली, | दिल्ली सरकार के वाणिज्य और कर विभाग ने उन करदाताओं की पहचान के प्रयास तेज कर दिए हैं जो जीएसटी प्रणाली का दुरुपयोग करके सरकार को जायज टैक्स से वंचित कर रहे हैं। धोखाधड़ी करने वाले ऐसे व्यापारियों द्वारा माल की आवाजाही के बिना फर्जी चालान बनाने तथा जालसाजीपूर्वक अंतरराज्यीय बिक्री दिखाने जैसे तरीके शामिल हैं। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री कार्यालय ने आधिकारिक जानकारी देते हुए कहा, “दिल्ली सरकार ने ऐसी जालसाजी से निपटने के लिए बिजनेस इंटेलिजेंस एंड फ्रॉड एनालिटिक्स (बीआइएफए) का उपयोग शुरू किया है। इसे गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) द्वारा तैयार किया गया है। इसमें धोखाधड़ी वाले लेनदेन की पहचान करने के लिए डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग होता है।”
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के कार्यालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक इस संबंध में, वाणिज्य और कर विभाग ने 12 अक्टूबर को कर-चोरी विरोधी विशेष अभियान का आयोजन किया। इसमें 22 वाणिज्यिक उद्यमों से जुड़े 29 परिसरों का सर्वेक्षण करके संदिग्ध टैक्स चोरी की जांच की गई। इसके लिए 22 विभागीय टीमों को तैनात किया गया था।
इनमें प्रत्येक टीम का नेतृत्व एक सहायक आयुक्त द्वारा किया गया। इस दौरान की गई छापेमारी में 50.34 लाख रुपये की राशि टैक्स के रूप में वसूली गई। गैर-मौजूद डीलरों के परिसरों को सील कर दिया गया है।
छापेमारी के दौरान कुछ संदेहास्पद दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं, जिनकी जांच की जा रही है। दिल्ली सरकार को वाणिज्य एवं कर विभाग ऐसे टैक्स-चोरी विरोधी अभियान जारी रखेगा, ताकि जालसाजी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो और टैक्स चोरी रोकी जा सके।