नई दिल्ली, | अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (कैट) ने एमेजॉन की तुलना औपनिवेशिक युग के ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ की है जिसने भारतीय राज्यों को एक-एक करके अधिग्रहित किया और भारतीय व्यापार पर एकाधिकार कर लिया। कैट ने फ्यूचर रिटेल को अपना समर्थन दिया है।
फ्यूचर रिटेल के बयान पर टिप्पणी करते हुए कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, “एमेजॉन द्वारा अधिग्रहण करने की लड़ाई के परिणामस्वरूप भारतीय मूल के फ्यूचर रिटेल समूह द्वारा लिक्विडेशन को अपनाने के लिए हाल ही में दिया गया बयान हमें औपनिवेशिक युग की याद दिलाता है जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय राज्यों को एक-एक करके हथिया कर भारतीय व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने की प्रक्रिया शुरू की थी।”
उन्होंने कहा कि यह भारत सरकार और कॉर्पोरेट इंडिया के लिए खतरे की घंटी है और और विदेशी फंड वाले बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा भारतीय खुदरा व्यापार को नियंत्रित करने की कुटिल मंशा को उजागर किया है।
उन्होंने आगे कहा कि एमेजॉन खुद सरकार की एफडीआई नीति के घोर उल्लंघन के विभिन्न आरोपों पर भारत में जांच का सामना कर रहा है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया ने कहा कि ऐसे समय में जब एक भारतीय कंपनी का अस्तित्व दांव पर है, कैट फ्यूचर रिटेल के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है क्योंकि यह एक भारतीय कंपनी है।
हालांकि, भरतिया ने फिक्की और सीआईआई जैसे उद्योग निकायों की चुप्पी पर सवाल उठाया, जो हमेशा भारत में उद्योग और वाणिज्य के पैरोकार होने का दावा करते हैं।
दोनों ने किशोर बियानी से आग्रह किया कि डिस्ट्रीब्यूटर्स बिरादरी और फ्यूचर रिटेल के आपूर्तिकर्ताओं को जल्द से जल्द भुगतान किया जाना चाहिए और उन्हें किसी भी परेशानी में नहीं फंसना चाहिए, एक ऐसा आश्वासन है जो कैट और ऑल इंडिया एफएमसीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन को दिया गया है।