नई दिल्ली, | एयर इंडिया के निजीकरण के लिए बोलियां जमा करने की समय-सीमा को बढ़ाकर 15 दिसंबर कर सकती है। अभी इसके लिए अंतिम तिथि 30 अक्टूबर तय की गई है। इससे पहले वित्त मंत्रालय में विनिवेश विभाग (डीआईपीएएम) ने कहा था कि कोविड-19 के कारण इच्छुक बोलीदाताओं द्वारा अनुरोध किए जाने से और मौजूदा स्थिति को देखते हुए तारीख को 31 अगस्त से 30 अक्टूबर तक के लिए बढ़ाया जा रहा है।
दरअसल, सरकार एयर इंडिया के सौदे को लेकर ज्यादा समय देकर इसे बेहतर से बेहतर करने की कोशिश कर रही है। ऐसी चर्चा है कि निवेशकों को एयरलाइन के ऊंचे ऋण पर निर्णय लेने की सुविधा भी दी जाएगी। एयरलाइन के कर्ज को लेकर कुछ संभावित निवेशकों ने लचीलेपन की मांग की है और कहा है कि ऋण को बोली के स्तर पर तय नहीं किया जाना चाहिए।
सरकार पिछले कुछ सालों से एयर इंडिया को बेचने की कोशिश कर रही है। वित्तीय सेवा सदन एचएसबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले जब सरकार ने एयर इंडिया को बेचने की कोशिश की थी और इसके लिए जो शर्ते रखी थीं, वे खरीदारों को आकर्षित नहीं कर रही थीं, इसलिए इस बार सरकार ने सौदा आसान और लचीला कर दिया है।
अब सरकार एयर इंडिया में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए तैयार है, जबकि पहले केवल 76 प्रतिशत बेच रही थी, जिससे संभावित खरीदारों को लग रहा था कि सरकार का हस्तक्षेप बना रहेगा।
इसके अलावा सरकार ने कुल ऋण का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा एक एसपीवी में स्थानांतरित कर दिया है। यानी एयर इंडिया की बैलेंसशीट पर कुल कर्ज 8 अरब डॉलर था, जिसमें से 5 अरब डॉलर का कर्ज एसपीवी को स्थानांतरित कर दिया है।
दुनिया में पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी के साथ एयरलाइन इंडस्ट्री भी भारी आर्थिक दबाव में है।